दयाल चंद यादव
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बयान ने भले ही राजनीतिक भूकंप ला दिया हो। इससे पार्टी में उनके विरोधियों की बांछे भले ही खिल गईं हों पर फायदे शिवराज ही रहेंगे। वे केंद्र की सत्ता में रहें या राज्य की सत्ता में फायदा हर हाल में उन्ही का होना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की आम जनता में बेहद लोकप्रिय हैं और पार्टी में फिलहाल उनके कद का कोई नेता नहीं है। सीएम शिवराज की लोकप्रियता के चलते पार्टी के दिग्गज कोई खतरा लेने तैयार नहीं होंगे। पार्टी में सीएम के दावेदारों की कमी नहीं है किसी को एक को सीएम बनाने का मतलब है किसी दूसरे के नाराजगी मोल लेना। कोई दावेदार बगावत भले ही न करे लेकिन फिर भी पार्टी के लिए मुश्किलें तो खड़ी ही कर सकता है। हालात यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव जैसे होने हैं।इसी कारण इस बात के आसार ज्यादा हैं कि सीएम शिवराज को साथ लेकर ही अगला चुनाव लड़ा जाए और केंद्र के दिग्गज नेता सभी उनका सहयोग करें ताकि यूपी जैसी सफलता को एमपी में भी दोहराया जा सके।
सीएम शिवराज ने एक बार फिर दोहराया है कि पार्टी उनसे दरी बिछाने का कहेगी तो मैं दरी भी बिछाने के लिए तैयार हूं। इस बयान के सियासी मायने भी खोजे जा रहे हैं। बीते कुछ समय से राज्य में सत्ता और संगठन में बड़े बदलाव की चर्चा है। इसी बीच मुख्यमंत्री चौहान ने एक समाचार पत्र को दिए अपने साक्षात्कार में कहा है कि अगर पार्टी नेतृत्व कहेगा तो मैं दरी बिछाने के लिए भी तैयार हूं। इस बयान को सियासी तौर पर काफी अहम भी माना जा रहा है। सीएम शिवराज भी राजनीति के पक्के खिलाड़ी बन चुके हैं, जाने-अनजाने ही सही ऐसा बयान देकर सीएम शिवराज ने पार्टी की गुड बुक में अपने नंबर बढ़वा लिए हैं। अब जो सीएम बनने का सपना देख रहें हैं। उन्हें पूरी आजादी है सीएम बनने का सपना देखने की। रहा सवाल ज्योतिरादित्य सिंधिया का, जो भाजपा की राजनीति न समझे वो अनाड़ी है।
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