भोपाल/डिंडौरी | जो काम बड़े बड़े नेता नहीं कर पाये वह काम डिंडौरी के के एक छोटे से गांव ने कर दिखाया है। जल्दा मुड़िया गांव के एक फैसले ने प्रदेश में शराबबंदी की की अलख जगा दी है ! हालाँकि देश के कई राज्यों में शराबबंदी लागू है।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेसा एक्ट के जरिए ग्राम सभाओं को ताकतवर बनाए जाने के बाद आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायतें सकारात्मक फैसले भी लेने लगी हैं। डिंडौरी जिले में ग्राम सभा ने शराब बंदी का प्रस्ताव पारित कर दिया है।
राज्य में बीते कुछ समय से शराबबंदी को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है, सरकारी स्तर पर तो शराबबंदी को लेकर न तो कोई फैसला हुआ है और न ही उस दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। हां इतना जरूर हुआ है कि सरकार ने पेसा एक्ट के जरिए जनजाति वर्ग को ताकंतवर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है और उन्हें अपने मामलों में फैसले लेने का अधिकार भी दिया है।
पेसा एक्ट लागू होने के बाद डिंडौरी जिले के जल्दा मुड़िया गांव से एक अच्छी खबर आई है क्योंकि इस जनजाति बाहुल्य ग्राम पंचायत के लोगों ने ग्राम सभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें तय किया गया है कि गांव में शराब की बिक्री पूरी तरह बंद रहेगी। संभवत: पेसा कानून लागू किए जाने के बाद राज्य में पहला यह फैसला है जो आदिवासी महिलाओं के नेतृत्व में बनी समिति ने एक स्वर में शराब पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
डिंडौरी के जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने ट्वीट कर बताया है कि नया वर्ष, नया संकल्प 'पेसा नियम' के दिख रहे असर। जनजातीय समाज को पेसा नियम के तहत प्रदान किए गए अपने ग्राम से संबंधित अधिकारों के बेहतर परिणाम दिख रहे हैं। डिंडौरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्राम सभा ने गांव में पूर्ण रूप से शराब निषेध प्रस्ताव पारित कर अहम पहल शुरू की है।
- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया स्वागत
ग्राम पंचायत के फैसले का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा है, यह अत्यंत हर्ष और आनंद का विषय है! नशामुक्ति के इस संकल्प से सुख, समृद्धि और खुशहाली के नये द्वार खुलेंगे। ग्राम जल्दा मुड़िया की यह पहल अभिनंदनीय है। हम सबके प्रयास से ही नशामुक्त मध्यप्रदेश बनेगा। पेसा नियमों के सकारात्मक परिणामों को देखकर मन हर्षित है। जिस उद्देश्य के साथ हमने पेसा एक्ट लागू किया था, वह साकार हो रहा है।
मुख्यमंत्री चौहान ने आगे कहा, ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्रामसभा द्वारा पूर्ण शराबबंदी का फैसला सराहनीय है। इसके लिए ग्रामसभा की महिला सदस्यों को मैं बधाई देता हूं।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेसा एक्ट के जरिए ग्राम सभाओं को ताकतवर बनाए जाने के बाद आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायतें सकारात्मक फैसले भी लेने लगी हैं। डिंडौरी जिले में ग्राम सभा ने शराब बंदी का प्रस्ताव पारित कर दिया है।
राज्य में बीते कुछ समय से शराबबंदी को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है, सरकारी स्तर पर तो शराबबंदी को लेकर न तो कोई फैसला हुआ है और न ही उस दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। हां इतना जरूर हुआ है कि सरकार ने पेसा एक्ट के जरिए जनजाति वर्ग को ताकंतवर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है और उन्हें अपने मामलों में फैसले लेने का अधिकार भी दिया है।
पेसा एक्ट लागू होने के बाद डिंडौरी जिले के जल्दा मुड़िया गांव से एक अच्छी खबर आई है क्योंकि इस जनजाति बाहुल्य ग्राम पंचायत के लोगों ने ग्राम सभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें तय किया गया है कि गांव में शराब की बिक्री पूरी तरह बंद रहेगी। संभवत: पेसा कानून लागू किए जाने के बाद राज्य में पहला यह फैसला है जो आदिवासी महिलाओं के नेतृत्व में बनी समिति ने एक स्वर में शराब पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
डिंडौरी के जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने ट्वीट कर बताया है कि नया वर्ष, नया संकल्प 'पेसा नियम' के दिख रहे असर। जनजातीय समाज को पेसा नियम के तहत प्रदान किए गए अपने ग्राम से संबंधित अधिकारों के बेहतर परिणाम दिख रहे हैं। डिंडौरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्राम सभा ने गांव में पूर्ण रूप से शराब निषेध प्रस्ताव पारित कर अहम पहल शुरू की है।
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