नई दिल्ली। ब्रिटेन ने भले ही इस वर्ष सबसे अधिक संख्या में भारतीयों को छात्र वीजा जारी किए हों, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए वहां रहना और जीवनयापन करना मुश्किल हो गया है। छात्रों और उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, विदेश में पढ़ना उन विद्यािर्थियों के लिए मुश्किल हो गया है, जो अभी-अभी ब्रिटेन गए हैं। यह किसी दुःस्वप्न से कम नहीं है। एक ऐसा देश जो उनके लिए पूरी तरह अनजान है, वहां सिर पर छत नहीं मिल पाना किसी बुरे सपने से कम नहीं है। उनका संकट केवल सस्ता आवास खोजने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लगातार बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति भी उनके लिए चुनौती है, जिससे उनके दैनिक खर्चों में वृद्धि हुई है।
ब्रिटेन में महंगाई 2022 में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। सितंबर 2022 तक के 12 महीनों में मकान किराया समेत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआईएच) 8.8 प्रतिशत बढ़ गया। नवंबर के आंकड़ों के अनुसार, मुद्रास्फीति की दर 9.3 प्रतिशत पर पहुंच गई।
लंदन के गोल्डस्मिथ विश्वविद्यालय में पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गईं चयनिका दुबे ने कहा, ‘पिछले साल एक अक्तूबर से 21 अक्तूबर के बीच मुझे घर तलाशने में ‘एयरबन्स' पर करीब एक लाख रुपये खर्च करना पड़ा।' एयरबन्स किराए पर घर मुहैया कराने वाली कंपनी है। बर्मिंघम में एस्टन विश्वविद्यालय में एमएससी की पढ़ाई करने गए नमन ने कहा, ‘महंगाई में अपने खर्चों को कम रखना अपने आप में एक चुनौती थी। मैंने सिर्फ जरूरी चीजों पर ध्यान केंद्रित किया।' छात्रों को आवास खोजने में मदद करने के मंच यूनीएक्को के संस्थापक अमित सिंह ने दावा किया कि ब्रिटेन पिछले 8-10 वर्षों से आवास संकट से गुजर रहा है।
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