अडाणी मुद्दे पर मोदी सरकार की ‘‘गहरी चुप्पी'' से ‘‘मिलीभगत की बू आती है : कांग्रेस



नई दिल्ली। कांग्रेस ने अडाणी समूह पर लगे आरोपों को लेकर केंद्र पर हमला तेज करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार की ‘‘गहरी चुप्पी'' से ‘‘मिलीभगत की बू आती है।'' 
अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा गौतम अडाणी के नेतृत्व वाले समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद अडाणी समूह के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट आई है। 
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि पार्टी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने रोजाना तीन सवाल रखेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अडाणी समूह पर लगे आरोपों के बीच मोदी सरकार ने ‘‘गहरी चुप्पी बनाए रखी है, जिससे मिलीभगत की बू आती है।'' 
रमेश ने कहा कि चार अप्रैल 2016 को पनामा पेपर खुलासे के जवाब में वित्त मंत्रालय ने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से एक बहु-एजेंसी जांच समूह को विदेशी ‘टैक्स हेवन' (कर चोरी के लिहाज से मुफीद देशों) से संबंधित वित्तीय प्रवाह की निगरानी करने का निर्देश दिया था।

उन्होंने कहा कि इसके बाद, पांच सितंबर 2016 को चीन के हांगझाऊ में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आपने (मोदी) कहा था, ‘‘हमें आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित आश्रयों को खत्म करने, धनशोधन करने वालों का पता लगाकर बिना शर्त प्रत्यर्पित करने और जटिल अंतरराष्ट्रीय नियमों के जाल तथा अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता को तोड़ने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है, जो भ्रष्ट लोगों और उनके कार्यों को उजागर होने से रोकती है।” उन्होंने कहा कि इससे कुछ ऐसे सवाल पैदा होते हैं, जिनसे आप (मोदी) और आपकी सरकार ‘एचएएचके' (हम अडाणी के हैं कौन) कहकर नहीं बच सकते। रमेश ने सवाल उठाते हुए कहा कि पनामा पेपर और पेंडोरा पेपर में गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी का नाम बहामास और ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में विदेशी संस्थाओं को संचालित करने वाले व्यक्ति के रूप में आया था।

उन्होंने कहा, “विनोद अडाणी पर ‘विदेशी मुखौटा कंपनियों के एक विशाल जाल' के माध्यम से शेयर के हेर-फेर और ‘अकाउंट संबंधी धोखाधड़ी' में शामिल होने का आरोप है। आपने भ्रष्टाचार से लड़ने में अपनी ईमानदारी और ‘नीयत' के बारे में अकसर बात की है और यहां तक ​​​​कि इसके चलते देश को नोटबंदी के रूप में भारी कीमत चुकानी पड़ी है।” कांग्रेस नेता ने कहा, “यह तथ्य कि आप जिस व्यावसायिक इकाई से भली-भांति परिचित हैं, वह गंभीर आरोपों का सामना कर रही है, आपकी जांच की गुणवत्ता और गंभीरता के बारे में क्या बयां करता है?”

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक विरोधियों को ‘‘डराने'' और उन कारोबारी घरानों को ‘‘दंडित'' करने के लिए वर्षों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) जैसी केंद्रीय एजेंसियों का ‘‘दुरुपयोग'' किया है, जो उनके ‘‘साथियों'' के वित्तीय हितों के अनुरूप नहीं हैं। रमेश ने सवाल किया कि अडाणी समूह के खिलाफ वर्षों से लगाए जा रहे गंभीर आरोपों की जांच के लिए क्या कभी कोई कार्रवाई की गई है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या प्रधानमंत्री के अधीन मामले में सही और निष्पक्ष जांच की कोई उम्मीद है। कांग्रेस महासचिव ने कहा, “यह कैसे संभव है कि भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक, जिसे हवाई अड्डों और बंदरगाहों के क्षेत्र में एकाधिकार बनाने की अनुमति दी गई है, लगातार आरोपों के बावजूद इतने लंबे समय तक गंभीर जांच से बच सकता है?”

उन्होंने आरोप लगाया कि इससे कमतर आरोपों के लिए अन्य व्यापारिक समूहों को परेशान किया गया और उन पर छापे मारे गए। रमेश ने पूछा, “क्या अडाणी समूह उस शासन के लिए आवश्यक था, जिसने इतने वर्षों तक ‘भ्रष्टाचार विरोधी' बयानबाजी से लाभ हासिल किया है।” अपने बयान को टैग करते हुए कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, “अडाणी महामेगा घोटाले पर प्रधानमंत्री की गहरी चुप्पी ने हमें एचएएचके (हम अडाणी के हैं कौन) की एक शृंखला शुरू करने के लिए मजबूर किया है। हम आज से प्रधानमंत्री से रोजाना तीन सवाल करेंगे।” उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर अपनी ‘‘चुप्पी'' तोड़ने को कहा। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक सर्वेक्षण भी शुरू किया, जिसमें लोगों से पूछा गया है कि क्या प्रधानमंत्री ‘‘अपने दोस्त अडाणी'' के खिलाफ लगे धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कराएंगे?

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