नई शिक्षा नीति में भारत की प्राचीन परम्परा और आधुनिक तकनीक शामिल : योगेन्द्र सिंह ठाकुर

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शोध नवाचार एवं शिक्षण तथा अनुसंधान में एकीकरण विषय पर पाँच दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन 

जबलपुर। शासकीय मानकुंवर बाई कला एवं वाणिज्य स्वशासी महिला महाविद्यालय जबलपुर में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शोध नवाचार एवं शिक्षण तथा अनुसंधान में एकीकरण विषय पर पाँच दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के समापन पर मुख्य अतिथि और महाविद्यालय की जनभागीदारी अध्यक्ष योगेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति हमें भारत की प्राचीन ज्ञान परम्परा से जोड़ने के साथ आधुनिक तकनीक से भी जोड़ा गया है। इसमें विद्यार्थियों को मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। 

कार्यक्रम महाविद्यालय की प्राचार्य  डाॅ. संध्या चौबे की अध्यक्षता में संपन्न हुआ

सेमीनार का आयोजन महाविद्यालय के शोध विकास समन्वय प्रकोष्ठ के द्वारा आईक्यूएसी के मार्गदर्शन में विश्व बैंक की उच्च शिक्षा गुणवत्ता परियोजना के अंतर्गत किया गया। 

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विविध जानकारी 
संगोष्ठी की संयोजक एवं महाविद्यालय के शोध विकास एवं समन्वय प्रकोष्ठ की प्रभारी डाॅ. स्मृति शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं शोध नवाचार विषय पर कार्यशाला आयोजन के उद्देश्यों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। चार दिनों की संगोष्ठी में प्रो. विवेक मिश्र, प्रो. धीरेन्द्र पाठक, प्रो. शैलेश चौबे, प्रो. शिवकुमार शर्मा और डाॅ. इला घोष द्वारा शोध प्रविधि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वपूर्ण बातों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विषय विशेषज्ञों ने अपने ज्ञान समन्वित विवेक से राष्ट्रीय शिक्षा नीति शोध पारम्परिक ज्ञान परम्परा एवं कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तथा तकनीक आधारित ज्ञान की जानकारी दी। 
  • हमारी मातृभाषा हमारे लिए बहूमूल्य : प्रो. धीरेन्द्र पाठक 
विशिष्ट अतिथि प्रो. धीरेन्द्र पाठक ने अपने वक्तव्य में नई शिक्षा नीति में समाजोपयोगी शोध की नितांन्त आवश्यकता है उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शोध में अभिरूचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए ही बनाया गया है। जिन विद्यार्थियों का 7.5 सीजीपीए होगा, वही आगे शोध कार्य से जुड़ सकते हैं। उन्होंने कहा हमारी मातृभाषा हमारे लिए बहूमूल्य है। नई शिक्षा नीति में हमें मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषा के साथ शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। 
  • प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान
डाॅ. गजेन्द्र भारद्वाज, असिस्टेंट प्रो. मारवाड़ी महाविद्यालय दरभंगा बिहार ने पीपीटी के माध्यम से बताया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के लक्ष्यों, कार्यों तथा गतिविधियों एवं प्रचलित आधुनिक तकनीकों से प्रतिभागियों को अवगत कराया और प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। डाॅ. गजेन्द्र भारद्वाज सहा. आचार्य मिथला विवि बिहार के द्वारा पीपीटी के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विभिन्न उपक्रम और सिस्टम की विस्तृत चर्चा की। 

इस राष्ट्रीय कार्यशाला में कार्यशाला के समापन सत्र का कुशल संचालन शोध समिति प्रभारी एवं कार्यशाला संयोजक, डाॅ. स्मृति शुक्ल के द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन कार्यशाला समन्वयक डाॅ. ब्रम्हानंद त्रिपाठी के द्वारा किया गया। कार्यशाल में 30 छात्राएँ उपस्थित रहीं। 

इस अवसर पर आईक्यूएसी प्रभारी डाॅ. ब्रम्हानंद त्रिपाठी, आयोजन समिति के सभी सदस्य  डाॅ. उषा कैली, डाॅ. मनोज प्रियदर्शन, डाॅ. सुलेखा मिश्रा, डाॅ. नुपूर निखिल देशकर, डाॅ. विजया कोष्टा, डाॅ. सपना चौहान, डाॅ. कविता चतुर्वेदी, डाॅ. सपना चावला, डाॅ. अभिषेक कोष्टा,  डाॅ. ज्योति जाट, डाॅ. सुनीता सोनी,  डाॅ. तुलिका गौतम, परमर्शदात्री समिति डाॅ. आरएन श्रीवास्तव, डाॅ. दीपक श्रीवास्तव, डाॅ. नीना उपाध्याय, डाॅ. आशा दुबे, डाॅ. टी.आर. नायडू, डाॅ. नोएलदान, शोध समिति के सभी सदस्य डाॅ. अजय तिवारी,  डाॅ. सविता तिवारी, डाॅ. कुमुदनी पाठक, डाॅ. परसराम लोधी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में इंद्रसिंह बरकड़े, डाॅ. बलीराम अहिरवार, डाॅ. पुष्पा करवाल, डाॅ. उज्जवला खारपाटे, डाॅ. विजया कोष्टा, कार्यशाला में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, अतिथि विद्वान शामिल रहे।



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