नई दिल्ली। भारत ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों का चीन द्वारा पुन: नामकरण करने को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हमने ऐसी खबरें देखी हैं। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसा प्रयास किया है। हम इसे सिरे से खारिज करते हैं।' उन्होंने कहा, ‘अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा था और रहेगा। ‘गढ़े' गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जाएगी।'
गौरतलब है कि हाल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के लिए ‘चीनी, तिब्बती और पिनयिन' अक्षरों में नामों की तीसरी सूची जारी की है। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के अनुसार 'तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान' बताता है। चीन की सरकार द्वारा संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स' की खबर में कहा गया, रविवार को 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए गए हैं।
- यह चीन को पीएम की क्लीन चिट का परिणाम : कांग्रेस
इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘चीन ने तीसरी बार अरुणाचल में हमारे इलाक़ों के 'नाम बदलने' का दुस्साहस किया है।' कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘गलवान के बाद, मोदी जी द्वारा चीन को क्लीन चिट देने का नतीजा, देश भुगत रहा है।' पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘2000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन चीन ने छीन ली, जगहों के नाम भी बदल रहा है, प्रधानमंत्री चुप, कोई जवाब नहीं! प्रधानमंत्री जी, आख़िर इतना डर क्यों?'
- चीन का ऐसा तीसरा प्रयास
चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का पुन: नामकरण ऐसे समय में किया है जब पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है। इससे पहले चीन ने 21 अप्रैल, 2017 को अरुणाचल के छह स्थानों के नाम बदले। इसके बाद 30 दिसंबर, 2021 को 15 स्थानों के नाम बदले और अब 3 अप्रैल, 2023 को 11 स्थानों के लिए नामों की तीसरी खेप जारी की।
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