लखनऊ | पुलिस अभिरक्षा में माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हुई हत्या को लेकर देशभर में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठे हैं। ऐसे में अब योगी सरकार ने अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। यह तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग 2 महीने में मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगा।
प्रदेश के गृह विभाग ने कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत इस न्यायिक आयोग को गठित किया है। इसके लिए गृह विभाग द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है। इसके पहले विकास दुबे की भी पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या के मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया था।
गौरतलब है कि पांच बार के विधायक और एक बार सांसद रहे अतीक अहमद और एक बार विधायक रहे अशरफ की प्रतापगढ़ में शनिवार की देर रात हत्या कर दी गई थी। यह हत्याकांड उस समय हुआ जब पुलिस अतीक और अशरफ को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लायी थी। उसी समय तीन हमलावर युवकों ने दोनों भाइयों की गोली मारकर हत्या कर दी।
इस हत्याकांड के आरोपियों लवलेश तिवारी, हमीरपुर के मोहित उर्फ सनी और कासगंज के अरुण कुमार मौर्य को घटनास्थल से ही गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने दावा किया कि लवलेश इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड है। हत्या की वजह क्या थी?
इस सवाल का जवाब पुलिस ने एफआईआर में दिया है। कहा है कि तीनों अतीक गैंग का सफाया कर अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, इसलिए अतीक के साबरमती जेल से लाने की खबर मिलते ही ये तीनों प्रयागराज आ गए और मीडियाकर्मी बनकर घूमते रहे। अतीक और अशरफ को 2005 के उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में सुनवाई के लिए प्रयागराज लाया गया था।
- तीन सदस्यीय आयोग
इस सनसनीखेज हत्याकांड को लेकर राजनीतिक दलों के नेताओं ने योगी सरकार की आलोचना की। राजनीतिक दलों के इस रुख के बीच योगी सरकार ने अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित करने का ऐलान कर दिया। यह आयोग हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में काम करेगा। इसमें रिटायर्ड आईपीएस सुबेश सिंह जो डीजी के पद से रिटायर हुए थे और जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को शामिल किया गया है।
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