रूपेन्द्र पटैल के दूसरे कविता-संग्रह का लोकार्पण
जबलपुर/मनोहर बिल्लौरे | भारत कृषक समाज के तत्वावधान में आशीष अस्पताल के पास स्थित अन्नपूर्णा इन में रूपेन्द्र पटैल के दूसरे कविता-संग्रह चुप्पियों के शिकार का गरिमामय लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। चर्चित कवि और एक्टिविस्ट विवेक चतुर्वेदी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि कवि रूपेन्द्र पटैल राजनीति से साहित्य तक की यात्रा करने वाले विरल व्यक्तित्व हैं। यह उनका दूसरा कविता-संग्रह है। पहले संग्रह, ‘क से ककहरा’ में भी किसान संवेदना थी जो इस संग्रह में भी और भी प्रगाढ़ हुई है।
वरिष्ठ रचनाकार राजेन्द्र चंद्रकांत राय ने रूपेन्द्र पटैल के व्यक्तित्व और रचनात्मक यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि श्री रूपेन्द्र पटैल की रचनाओं में यद्यपि अनगढ़ता मौजूद है और उन्हें अभी अपने शिल्प की प्रतीक्षा है; पर उनकी रचनाओं की विषय-वस्तु समृद्ध है और उनमें पर्याप्त मासूमियत और निर्मलता भी साथ ही मौजूद है।
वरिष्ठ कवि नवीन चतुर्वेदी ने चुप्पियों के शिकार पर केन्द्रित अपना परचा पढ़ते हुए बताया कि रूपेन्द्र जी की कविताओं में किसान जीवन केन्द्र में है। रचनाओं से गुज़रते हुए सहज ही उन्हें किसानों की व्यथा का प्रवक्ता कहा जा सकता है। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि ‘कवि का अनुभव संसार बड़ा और समृद्ध है, पर उसके अनुरूप उनकी रचनाओं में शब्द कम हैं। कवि आशावादी है और उसकी पर्यावरण के प्रति चिन्ता भी गहरी है। उनमें विचारों की प्रौढ़ता है और अनाचार और नकारात्मकता के विरुद्ध मजबूती से वे खड़े दिखाई देते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चर्चित कवि, आलोचक और आकाशवाणी के पूर्व महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ल ने हिन्दी के बड़े कवि त्रिलोचन की किसान-संवेदना पर बात करते हुए उनकी एक-दो कविताओं को याद किया। मुक्तिबोध के प्रसिद्ध कथन - पार्टनर आपकी पाॅलीटिक्स क्या है - की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि श्री पटैल की कविताओं में बड़े रचनाकारों की तरह अलंकार, छंद और अन्यान्य अलंकरण मौजूद नहीं हैं। उनकी रचनाएं सीधे सीधे बात करती हैं। उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, समाज में ही नहीं साहित्य में भी तटस्थता का संकट बड़ा है। बढ़ा है। श्री पटैल ने आमजन का अपना प्रबल पक्ष चुन लिया है और वे उसके साथ सक्रियता और अडिगता से जुड़े भी हैं। यह बड़ी बात है। उन्होंने भारतीय कृषक समाज का अभिवादन करते हुए कहा कि संगठन ने इस आयोजन में हिस्सा लेकर उसे सुन्दर ही नहीं बनाया बल्कि समाज को रचनात्मकता से जोड़ने की नयी पहल भी की है।
भारतीय कृषक समाज के के. के. अग्रवाल ने मंचासीन अतिथियों और उपस्थित श्रोताओं और कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे सभी लोगों का आभार माना। इस अवसर पर भा. कृ. समाज के एक और स्तंभ जे.आर. गायकवाड़ ने भी आयोजन में शिरकत की और रूपेन्द्र पटैल को आत्मीय आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन चर्चित कवि और एक्टिविस्ट विवेक चतुर्वेदी ने किया।
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