पुण्यतिथि : बीपी मंडल जिनकी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र की नौकरियों में पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिला

 


जबलपुर। मंडल कमीशन (Mandal Commission) की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र की नौकरियों में पिछड़े वर्ग का आरक्षण सुनिश्चित हुआ। बीपी मंडल (BP Mandal) यानी बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल को पिछड़ा वर्ग के नायक के तौर पर याद किया जाता है, जिनकी सिफारिशों ने वंचितों को मुख्यधारा में लाने में बड़ा काम किया। 
  • रुढ़ियों को तोड़ने की पहल
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत सरकार द्वारा गठित दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल का जन्म 25 अगस्त, साल 1918 को बनारस में हुआ। वे काफी धनी परिवार से थे और उनके पिता रासबिहारी लाल मंडल भी राजनीति में सक्रिय थे। रासबिहारी लाल मंडल ने पिछड़ी जातियों के लिए जनेऊ पहनने की मुहिम चलाई थी। वैसे तो कहा जाता रहा कि ये काम प्रतिक्रियावादी था, लेकिन असल में ये एक पहल थी, रुढ़ियों को तोड़ने की।
  • तब जातियों में भेदभाव का दौर था, स्कूल से छेड़ी बदलाव की मुहिम 
पिता के रौब और क्रांति के बीच ही बीपी मंडल की परवरिश हुई। यही कारण है कि वे खुद भी स्कूल के जमाने से ही वंचितों के हक में बोलने लगे थे। शुरुआती पढ़ाई बिहार के मधेपुरा से करने के बाद छात्र बीपी मंडल दरभंगा आ गए। यहां से उनका सामाजिक राजनीति में रुझान और साफ दिखने लगा था। तब जातियों में भेदभाव का दौर था, जो स्कूल में भी दिखता। तथाकथित अगड़ी जातियां ऊपर या आगे बैठतीं, और बाकियों को नीचे या पीछे की ओर बैठकर पढ़ना होता। कई दूसरी समस्याएं भी थीं। बीपी मंडल ने स्कूल में इन सबके खिलाफ आवाज हुई और वहीं से बदलाव शुरू हुआ। 
  • पिछड़ी जातियों के खिलाफ पुलिसिया अत्याचार को लेकर राजनीति की शुरुआत
साल 1952 में भारत में हुए पहले आम चुनाव में वे मधेपुरा से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। वे तब कांग्रेस पार्टी से थे। दस सालों बाद बीपी मंडल दूसरी बार विधायक बने और इसी दौरान साल 1965 में उन्होंने पिछड़ी जातियों के खिलाफ पुलिसिया अत्याचार को लेकर कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और सोशलिस्ट पार्टी का हिस्सा बन गए। साल 1967 में वे लोकसभा सदस्य मनोनीत हुए। इस दौरान कई उतार-चढ़ाव आए और वे साल 1968 में बिहार के मुख्यमंत्री बन गए।
  • सदन में दिलाया सम्मान 
मुख्यमंत्री काल के दौरान विधानसभा में कई नाटकीय बातें होती रहीं। इस दौरान मंडल लगातार अगड़ी जातियों की अजीबोगरीब टिप्पणियों पर आपत्ति लेते रहे। जैसे कई बार सदस्यों के ‘ग्वाला’ शब्द कहने पर उन्होंने तुरंत एतराज जताया। आखिरकार बात बीपी मंडल के ही पक्ष में जाकर रुकी और सभापति ने सदन में यादव जाति के लिए इस शब्द के इस्तेमाल को असंसदीय मान लिया। 
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बीपी मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया 
जनवरी, 1979 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बीपी मंडल को पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष चुना। इस जिम्मेदारी को उन्होंने काफी शानदार तरीके से निभाते हुए पूरी स्टडी की। इस दौरान उन्होंने रिपोर्ट तैयार करने के लिए पूरे देश का भ्रमण किया। और पिछड़ी जातियों की पहचान करते हुए उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की सिफारिश की। इसी रिपोर्ट को मंडल कमीशन रिपोर्ट कहते हैं।
  • भारतीय राजनीति में साइलेंट रिवॉल्यूशन का दौर
इसके जरिए समाज से जुड़ने के कारण वंचित समुदाय और भी मजबूती से देश से जुड़ सके। बता दें कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद ही बिहार और उत्तरप्रदेश समेत देश के कई राज्यों से पिछड़ी जातियों ने नेता आगे आने लगे। इसे भारतीय राजनीति में साइलेंट रिवॉल्यूशन का दौर भी कहा गया, यानी चुपचाप क्रांति होना।

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