नई दिल्ली। शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन के शीर्ष नेताओं ने ठाकरे की इस मांग को तत्काल खारिज कर दिया। राज्य में पिछले साल शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद ठाकरे ने एक संवाददाता सम्मेलन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले से लोकतंत्र में भरोसा बहाल हुआ है। वहीं दूसरी ओर शिंदे ने कहा कि उन्होंने सरकार बनाने का दावा कानूनी तथा संवैधानिक दायरे में किया था और उस पर अब उच्चतम न्यायालय की मुहर लग गई है।
संवाददाताओं से बातचीत में ठाकरे ने शक्ति परीक्षण के लिए उन्हें बुलाने को लेकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना की। दरअसल ठाकरे ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराए बिना ही पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद शिंदे ने 29 जून 2022 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। ठाकरे ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के फैसले ने सत्ता के लिए की जाने वाली गंदी राजनीति को उजागर कर दिया है। सबसे अहम बात यह है कि राज्यपाल की भूमिका की भी आलोचना की गई है।''
उच्चतम न्यायालय ने कोश्यारी की आलोचना करते हुए कहा कि राज्यपाल द्वारा पिछले साल 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहना सही नहीं था। महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने और संबंधित राजनीतिक संकट से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में सर्वसम्मति से कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का सचेतक नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला ‘अवैध' था।
ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री (शिंदे) और उपमुख्यमंत्री (फडणवीस) में कोई नैतिकता है, तो उन्हें उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए और चुनाव का सामना करना चाहिए।'' हालांकि न्यायालय ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर गलती की थी, ठाकरे ने कहा, ‘‘इस्तीफा देने में, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन अगर आप नैतिकता को देखें, जिन्हें मेरी पार्टी से सब कुछ मिला...मैं उन पर विश्वास या अविश्वास क्यों करूं। उन्हें मुझसे सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। जिन लोगों ने मुझे धोखा दिया, वे मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए... यह कैसे होगा?''
ठाकरे ने कहा, ‘‘उन्होंने (शिंदे गुट के विधायकों ने) मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया। मुख्यमंत्री के रूप में मेरा इस्तीफा कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया था... मैं पीठ में छुरा घोंपने वालों के साथ कैसे सरकार चला सकता था।''
दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद मुख्यमंत्री शिंदे तथा उप मुख्यमंत्री फडणवीस ने संयुक्त रूप से फैसले का स्वागत किया। शिंदे ने कहा, ‘‘सरकार का गठन कानूनी तथा संवैधानिक दायरे में हुआ था। अब उच्चतम न्यायालय ने इस पर मुहर लगा दी है। इससे पहले लोगों को हमारी सरकार को असंवैधानिक गठबंधन कहने में झूठी खुशी मिलती थी।'' फडणवीस ने ठाकरे पर यह कहते हुए कटाक्ष किया कि उन्हें नैतिकता के बारे में बात नहीं करनी चाहिए।
फडणवीस ने कहा, ‘‘ठाकरे ने कहा कि उन्होंने नैतिक आधार पर शक्ति परीक्षण का सामना नहीं किया। मैं जानना चाहता हूं कि उनकी नैतिकता कहां थी जब उन्होंने 2019 में हमारे साथ विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन सरकार बनाने के लिए विपक्षी दलों से हाथ मिला लिया।''
उन्होंने दावा किया, ‘‘ठाकरे ने शर्म के मारे इस्तीफा दिया।'' शिंदे ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री जानते थे कि वह अल्पमत में हैं। अब वह कह रहे हैं कि उनका व्हिप पार्टी में लागू होगा, लेकिन क्या उनके पास पर्याप्त विधायक हैं?''
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन एमवीए सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि उन्होंने पिछले साल जून में विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने राज्य के राजनीतिक संकट पर अपने फैसले में विधायकों की अयोग्यता को लेकर उनके रुख को बरकरार रखा है। लंदन में मौजूद नार्वेकर ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी याचिका पर फैसला करना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार होगा। मैं लगातार इस बात को कह रहा हूं कि विधानसभा अध्यक्ष ही इस मामले में फैसला लेंगे।''
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने विधानसभा अध्यक्ष से यह तय करने को कहा है कि विधायक दल का प्रतिनिधित्व कौन करता है- निर्वाचित प्रतिनिधि या राजनीतिक दल। शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता एवं पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसने उनके उस रुख की पुष्टि की है कि शिंदे सरकार ‘‘ अवैध और असंवैधानिक है।'' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी तथा नैतिकता एक दूसरे के विरोधाभासी हैं।
साथ ही उन्होंने जोर दिया कि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर न्यायालय का फैसला महाविकास आघाड़ी को भाजपा द्वारा अधिकारों के ‘दुरुपयोग' के बारे में लोगों को समझाने में मदद करेगा। पवार ने कहा, ‘‘ भारतीय जनता पार्टी तथा नैतिकता एक दूसरे के विरोधाभासी हैं। मैं और क्या कह सकता हूं'' उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा की रणनीति है कि अगर वह खुद नहीं जीत सकती तो वह छोटी पार्टियों को तोड़ती है और सरकार बनाती है। ये लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।''
إرسال تعليق