प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समान नागरिक संहिता की पुरजोर वकालत किए जाने के बाद इस पर घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस, अकाली दल समेत कई सियासी दलों ने इसकी आलोचना की है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे सैद्धांतिक समर्थन दे दिया है। इस बीच, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसके खिलाफ मजबूत पैरवी की तैयारी में जुट गया है। उधर, इस मुद्दे पर सार्वजनिक परामर्श कर रहे विधि आयोग को दो सप्ताह में 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं।
- आप का सैद्धांतिक समर्थन, कहा, आम सहमति से ही इसे लाया जाना चाहिए
नई दिल्ली | आम आदमी पार्टी (आप) ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को बुधवार को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया, किंतु यह भी कहा कि सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद आम सहमति से ही इसे लाया जाना चाहिए। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा कि सरकार को इस प्रस्ताव पर सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए, जिसमें राजनीतिक दल और गैर-राजनीतिक संस्थाएं शामिल हों। पाठक ने कहा, ‘आप सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है। (संविधान का) अनुच्छेद 44 भी इसका समर्थन करता है। लेकिन सरकार को यूसीसी तभी लाना चाहिए, जब हितधारकों/ संबंधित पक्षों के बीच आम सहमति हो।'
गौरतालब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा था, ‘समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?'
आप ही एकमात्र ऐसा विपक्षी दल है, जिसने यूसीसी को सैद्धांतिक समर्थन दिया है।
- थोप नहीं सकते, पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट पढ़ें पीएम : चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए कहा कि ‘एजेंडा आधारित बहुसंख्यक सरकार’ इसे लोगों पर थोप नहीं सकती, इससे लोगों के बीच विभाजन बढ़ेगा। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इसकी वकालत कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा इसका इस्तेमाल ध्रुवीकरण के लिए कर रही है। चिदंबरम ने ट्वीट में कहा, ‘पीएम को पिछले विधि आयोग की रिपोर्ट पढ़नी चाहिए, जिसमें कहा गया है कि यह इस वक्त सुसंगत नहीं है।’
- अल्पसंख्यकों पर होगा विपरीत प्रभाव : अकाली दल
चंडीगढ़ | शिरोमणि अकाली दल ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू होने से अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। दल ने कहा कि आम आदमी पार्टी का 'अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा' भी उजागर हो गया है। अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि अकाली दल ने हमेशा समान नागरिक संहिता का विरोध किया है और वह विधि आयोग के साथ-साथ संसद में भी आपत्ति दर्ज कराएगा। देश में नागरिक कानून आस्था, विश्वास, जाति और रीति-रिवाजों से प्रभावित हैं और अलग-अलग हैं। चीमा ने कहा, 'विविधता में एकता की अवधारणा की सुरक्षा के हित में इन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए।'
- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तेज की तैयारी
लखनऊ | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के कुछ घंटे बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मंगलवार रात वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से बैठक की, जिसमें समान नागरिक संहिता पर आपत्ति संबंधी मसौदा दस्तावेज पर चर्चा की गई। बोर्ड के वकीलों द्वारा तैयार किये जा रहे इस दस्तावेज को विधि आयोग को सौंपा जाएगा। हालांकि, बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि यह नियमित बैठक थी और इसे प्रधानमंत्री के बयान से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। बोर्ड सदस्य ने कहा, 'यूसीसी संविधान की भावना के खिलाफ है और हम इसका कड़ा विरोध करेंगे। यूसीसी न केवल मुसलमानों को प्रभावित करेगा, बल्कि हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, यहूदी, पारसी और अन्य छोटे अल्पसंख्यक वर्ग भी इससे प्रभावित होंगे।'
- 'संविधान में नीति निर्धारकों ने जो लिखा, वही कर रहे हैं' : राजनाथ सिंह
जोधपुर | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र, देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की बात करता है तो राजनीतिक विरोधी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने लग जाते हैं। एक रैली में उन्होंने कहा, 'हम जो करने जा रहे हैं, वह संविधान में नीति निर्धारकों ने लिखा है। हम उन्हीं के वचन को पूरा करने जा रहे हैं। क्या एक देश, एक विधान नहीं होना चाहिए? अगर कोई यह चाहता है कि उसे जितनी मर्जी हो, उतनी शादियां करने की आजादी मिल जाये... तो यह भारत में नहीं होगा। महिलाओं का सम्मान हमारी प्रतिबद्धता है।
- विधि आयोग को मिलीं 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं
समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर विधि आयोग ने 14 जून को सभी हितधारकों से विचार आमंत्रित किए थे। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया शुरू करने के केवल दो सप्ताह के भीतर आयोग को लगभग 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं। गौर हो कि समान नागरिक संहिता का अर्थ देश के सभी नागरिकों के लिए समान कानून है, जो धर्म पर आधारित न हो।
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