आलेख : पंकज स्वामी
जबलपुर। जबलपुर की पत्रकारिता में सातवें से नौवें दशक सक्रिय रहने वाले लक्ष्मण राय पिछले दिनों चल बसे। उनके जाने पर पत्रकारिता जगत निस्तब्ध रहा। कहीं कोई एक शब्द की श्रद्धांजलि भी पढ़ने या देखने को नहीं मिली। मेरे जैसे अन्य कई लोग जो उन्हें जानते थे उनका महत्व कई गुना था। लक्ष्मण राय हम लोगों के लिए वह व्यक्ति थे जिन्हें कभी किसी ने कोई वाहन में चलते नहीं देखा था। वे अत्यंत पढ़ाकू थे। देश दुनिया से लेकर जबलपुर के गली कूचों तक की जानकारी व खबर उनके पास रहती थी। शुरुआत नवभारत से कर के वे सांध्यकालीन देशबन्धु से संबद्ध रहे। लम्बे समय तक उनका ठिकाना हरिशंकर परसाई के घर के पास रहा।
लक्ष्मण राय जबलपुर के अंगुलियों में गिने जाने पत्रकारों में से रहे जो शरद यादव को सिर्फ 'शरद' कहने की हिम्मत रखते थे। शरद यादव के साथ ऐसा जुड़ाव था कि वे उनके प्रत्येक चुनाव में साथ में रहे। और तो और उत्तर प्रदेश व बिहार के चुनाव में शरद यादव के साथ वे खड़े रहे। लक्ष्मण राय जीवन भर खांटी समाजवादी रहे और इसके मूल्यों के उनका अटूट प्रतिबद्धता रही।
लक्ष्मण राय निडर पत्रकार थे। वरिष्ठ पत्रकार जयंत वर्मा के साथ उनका लम्बा साथ रहा। लक्ष्मण राय की साफगोई व स्पष्टवादिता ऐसी थी कि उनका सामना करने की हिम्मत कम लोग कर पाते थे। मायाराम सुरजन से उनकी संपादकीय पर चर्चा कर उसका विश्लेषण करने का माद्दा लक्ष्मण राय के पास ही था। वे जानते थे कि पत्रकारिता की डगर कठिन है लेकिन भतीजे शशिन राय (शंटू) को उन्होंने हर समय प्रोत्साहित ही किया। अविवाहित लक्ष्मण राय का अंतिम समय शशिन के पास नागपुर में इलाज के दौरान गुजरा। 14 जून को 77 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
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