125 वर्षों से भी ज्यादा समय से पीढ़ियां निभा रही हैं परंपरा
बरगी नगर l हिंदुस्तान गंगा जमुनी तहजीब के लिए विख्यात यूं ही नहीं माना जाता, यहां पर बसने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी तहजीब की महक बरकरार है। जिसमें धर्म से ऊपर इंसानियत और भाईचारे को माना जाता है। प्रेम सौहार्द ही जिनके लिए सबसे बड़ा धर्म है। ऐसा ही कुछ बरगी नगर के छोटे से ग्राम मनकेड़ी में पिछले 125 वर्षों से भी ज्यादा लंबे समय से देखने मिल रहा है। जहां 99.9% हिंदू आबादी के बीच में रहने वाला रहने वाला एक मुस्लिम परिवार अपने बाप दादा के समय से इस परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं और अपने पुरखों की इस रवायत को नई पीढ़ियां आज भी निभा रही हैं।
- भाई दूज पर भरता है प्रेम का मेला
मनकेड़ी ग्राम के ग्राम प्रमुख हफीज खान मालगुजार ने बताया कि दीपावली के भाई दूज के अवसर पर हमारे गांव में पिछले 125 वर्षों से भी ज्यादा समय से हमारे परिवार के स्वर्गीय खुदा बख्श, स्वर्गीय शेख कल्लू तथा स्वर्गीय शेख अहमद खान मालगुजार द्वारा ग्राम में भाई दूज के अवसर पर आपसी प्रेम के लिए चंडी मड़ई मेले का आयोजन किया जाता रहा है। जिसे हम भी उसी परंपरा के अनुसार इसका निर्वहन कर रहे हैं।
- दर्जन भर गांवों को भेजते हैं न्योता
ग्राम के (बैगा) पंडा प्रहलाद आदिवासी तथा सूरज आदिवासी ने बताया कि मालगुजार परिवार द्वारा चंडी मेला कार्यक्रम के लिए आसपास के दर्जन भर ग्राम सहजपुरी, चौरई, रीमा, नयागांव, टेमर गुल्ला पाठ, भोंगा तथा हरदुली ग्रामों के ग्राम प्रमुख को हल्दी चावल तथा सुपारी भेज कर पारंपरिक न्योता दिया जाता है। ग्राम की ग्वाल टोली द्वारा शाम 4 बजे मालगुजार परिवार के घर पहुंच कर नाचते गाते हुए समूचे गांव के साथ मालगुजार परिवार के प्रमुख को लेकर ग्वालटोली मेला स्थल तक पहुंचती है। यहां पर पूरी विधि-विधान से चंडी माता की पूजा अर्चना के बाद ग्राम के बैगा द्वारा मड़ई को ब्याहने की प्रक्रिया पूरी की जाती है और इस तरह से सभी मेले में शामिल होते हैं।
- पान खिलाकर स्वागत
आसपास के गांव से आमंत्रित की गई सभी ग्वाल टोलियों को मेला स्थल में पहुंचने के बाद पान खिलाकर स्वागत किया जाता है। मालगुजार परिवार द्वारा विशेष नृत्य प्रस्तुति पर सभी ग्वाल टोलियों को सम्मान स्वरूप प्रसाद और पुरस्कार (बख्शीश) हर टोली को दी जाती है। आसपास के सभी आमंत्रित अतिथि गणों को पान खिलाकर स्वागत किया जाता है। इस अवसर पर ग्राम के दिमाग प्रसाद, डुमारी लाल सोनी, डुमारी लाल झरिया, प्रहलाद आदिवासी, विमल नेताम, रामाधार आदिवासी, संतोष आदिवासी, सूरज प्रसाद, कृपाल आदिवासी, भूरा झरिया, रोशनी झरिया मुकेश और समस्त ग्रामवासियों का विशेष सहयोग रहता है
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