शंभू बॉर्डर पर किसानों-सुरक्षाबलों में हिंसक टकराव

सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर निकले पंजाब के किसान, हरियाणा सीमा पर संग्राम के बाद डाला डेरा

पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस छोड़ी गयी।

चंडीगढ़/अक्षर सत्ता। अपनी मांगों को लेकर मंगलवार सुबह पंजाब से सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियों पर दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों को हरियाणा की भारी बैरिकेडिंग वाली सीमाओं पर सख्ती से रोका गया। जीटी रोड पर अम्बाला शहर का शंभू बॉर्डर किसानों और हरियाणा पुलिस के बीच महाभारत का मैदान बन गया। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। ड्रोन के जरिये आसमान से भी आंसू गैस के गोले बरसाये गये। रबड़ की गोलियां भी कथित तौर पर चलाईं। शंभू बॉर्डर पर दोनों तरफ से पत्थर चले। टकराव में एक डीएसपी सहित 7 सुरक्षाकर्मी घायल हो गये। कई किसानों को हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर ले जाया गया। उधर, खनौरी सीमा पर लाठीचार्ज भी हुआ। प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई। जानकारी के अनुसार, दोनों जगह करीब 60 किसान और 24 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। कुछ मीडियाकर्मियों को भी चोटें आयी हैं। शाम करीब 7 बजे किसान नेताओं की तरफ से ‘दिन के लिए सीजफायर’ का फैसला लिये जाने के बाद माहौल थोड़ा नरम हुआ। दिल्ली कूच के लिए बुधवार को नये सिरे से रणनीति बनाने का ऐलान करते हुए किसानाें ने शंभू और खनौरी सीमाओं पर ही डेरा डाल दिया है।

केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार आधी रात तक चली बातचीत बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में मंगलवार सुबह फतेहगढ़ साहिब और महलां चौक (संगरूर) से हजारों किसान रवाना हुए थे। सुबह 10 बजे लगभग 1200 ट्रैक्टर ट्रॉलियां शंभू बैरियर पर पहुंचीं, इसके बाद 11:30 बजे तक 400 अन्य ट्रॉलियां पहुंचीं। हरियाणा पुलिस के साथ टकराव तब शुरू, जब कुछ युवाओं ने घग्गर पुल पर रखे कंक्रीट स्लैब हटाने की कोशिश की। हरियाणा पुलिस ने चेतावनी के बाद प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले फेंकना शुरू कर दिया। इससे अफरा-तफरी मच गई। दोपहर करीब एक बजे किसानों ने घग्गर ओवर ब्रिज के एक तरफ से पत्थर के बोल्डर व स्लैब हटा दिए। फ्लाईओवर पर लगे सेफ्टी बैरियरों को तोड़ डाला। किसानों ने कच्चे रास्तों से भी आगे बढ़ने की कोशिश की।
  • सभी संगठनों से बात करके देनी चाहिए थी आंदोलन की कॉल : चढ़ूनी
चंडीगढ़। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने इस आंदोलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछली बार हुए किसान आंदोलन में जहां पंजाब के 32 किसान संगठन शामिल थे। इस बार केवल दो किसान संगठन इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। हरियाणा की तरफ से भी ज्यादातर किसान संगठन अभी तक चुप हैं। बीकेयू अध्यक्ष चढ़ूनी ने मंगलवार को एक्स पर कहा, ‘वे और उनका संगठन किसानों की एमएसपी की मांग का समर्थन करता है। एमएसपी मिलना चाहिए। देश के सभी संगठनों से बैठक करके रणनीति बनाकर फिर कोई कॉल देनी चाहिए थी। सरकार व प्रशासन किसानों पर बल का प्रयोग न करे।’ चढ़ूनी की इस पोस्ट से साफ हो गया है कि किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने अन्य संगठनों को विश्वास में लिए बगैर ही प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
  • हाईकोर्ट का पंजाब, हरियाणा और केंद्र को नोटिस
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च से संबंधित दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर मंगलवार को केंद्र के अलावा हरियाणा और पंजाब राज्यों को नोटिस जारी किये। याचिकाकर्ताओं में से एक ने हरियाणा और पंजाब की सरकारों तथा केंद्र सरकार की सभी ‘अवरोधक’ कार्रवाइयों पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। दूसरे याचिकाकर्ता ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा कोई राजमार्ग अवरुद्ध न किया जाए। अदालत ने सुनवाई की तारीख 15 फरवरी तय की है।
  • बवाना स्टेडियम अस्थायी जेल नहीं बनेगा
नयी दिल्ली। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के मार्च के मद्देनजर बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उधर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि लाल किला परिसर को सुरक्षा कारणों से पर्यटकों के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

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