सरकार हरदा पटाखा कारखाने में विस्फोट के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शेगी : मोहन यादव

हरदा पटाखा कारखाना विस्फोट ममले में विपक्ष गर्म, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिया भरोसा

भोपाल/अक्षर सत्ता। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार हरदा पटाखा कारखाने में विस्फोट के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शेगी। हालांकि, मामले की न्यायिक जांच की मांग और मुख्यमंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए कांग्रेस सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि मामले की जांच की जा रही है और जो भी इस घटना के लिए जिम्मेदार होगा उसे दंडित किया जाएगा। 

कांग्रेस ने मंगलवार को हरदा में पटाखा इकाई में विस्फोट की घटना की न्यायिक जांच की और इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की। पटाखा कारखाने में हुए धमाके में कम से कम 11 लोगों की जान चली गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अधिकारियों के अनुसार, घटना के संबंध में अब तक कारखाने के दो मालिकों सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मप्र सरकार ने घटना की विस्तृत जांच करने के लिए प्रमुख सचिव (गृह) संजय दुबे की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। 
  • सरकार इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा के लिए तैयार 
प्रश्नकाल के तुरंत बाद, अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने हरदा पटाखा कारखाने में विस्फोट की घटना के मुद्दे पर राम निवास रावत और अन्य सहित कांग्रेस नेताओं द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव का उल्लेख किया। राज्य के विधायी मामलों के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा के लिए तैयार है। चर्चा शुरू करते हुए रावत ने कहा कि 2015 में भी इसी कारखाने में विस्फोट हुआ था, लेकिन इकाई मालिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 
  • जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हो प्राथमिकी 
उन्होंने दावा किया, ''हालांकि सरकार (मंगलवार की घटना में) 11 मौतों का जिक्र कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि उस समय इकाई में नियमों के खिलाफ बच्चों सहित बड़ी संख्या में लोग काम कर रहे थे।'' 
रावत ने कहा कि कारखाना एक कृषि भूमि पर चल रहा था और पूछा कि अधिकारियों ने इसकी अनुमति कैसे दी। उन्होंने कहा कि हरदा के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण मात्र कोई सजा नहीं है। उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए तथा घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों एवं लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। 

सदन में विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने कहा कि तत्कालीन (संभागीय) आयुक्त के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी, जिन्होंने दिवाली त्योहार के आधार पर कलेक्टर के आदेश पर एक महीने तक रोक लगाकर कारखाने को फिर से खोलने की अनुमति दी थी।'' 
उन्होंने इस मामले में तत्कालीन आयुक्त के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की। हरदा से कांग्रेस विधायक रामकिशोर दोगने ने चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया, ''घटना के समय कारखाने में 600-700 कर्मचारी काम कर रहे थे और करीब 200 मजदूरों का इलाज चल रहा है।'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘बाकियों का क्या हुआ ।'' 

उन्होंने दावा किया, "कारखाने में एक तहखाना था और आग के ताप के कारण भवन निर्माण में इस्तेमाल की गई लोहे की छड़ें भी पिघल गईं और मलबे में बदल गईं और कई मजदूर इसके नीचे दब गए।" 
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि 2015 में इसी तरह की घटना झाबुआ जिले के पेटलावद में हुई थी और इस मामले में दो साल तक जांच की गई। उन्होंने दावा किया, लेकिन इसके बाद भी घटना के लिए जिम्मेदार सभी अधिकारी बरी हो गए। 
  • क्या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह सरकार जनता के लिए या अधिकारियों के लिए है।'' 
नेता प्रतिपक्ष ने घटना की "न्यायिक या खुली अदालत से जांच" और स्थायी रूप से विकलांग हो गए लोगों और गंभीर चोटों का सामना करने वालों को एक-एक करोड़ रुपये की सहायता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि पटाखा इकाई शहरी और आवासीय क्षेत्र में स्थित थी, क्या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं थी। 

विपक्ष के दावों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कैबिनेट बैठक के दौरान विस्फोट की जानकारी मिलते ही उन्होंने तुरंत मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और वरिष्ठ अधिकारियों को हरदा पहुंचने और स्थिति का जायजा लेने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने सदन को अपनी सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में भी बताया, जिसमें कई अस्पतालों में बर्न यूनिटों को सतर्क करना, विस्फोट स्थल पर 100 से अधिक दमकल गाड़ी भेजना और स्थिति से निपटने के लिए बड़ी संख्या में एम्बुलेंस को सेवा में लगाया गया। उन्होंने कहा, "सरकार द्वारा जांच की जा रही है और जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, चाहे वह कोई भी हो, उन सभी को जांच के बाद दंडित किया जाएगा।" 

इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हस्तक्षेप किया और पूछा कि क्या सरकार इस मामले की न्यायिक या खुली अदालत से जांच का आदेश दे रही है और पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा कर रही है, जैसा कि विपक्षी सदस्यों की मांग है। जब मुख्यमंत्री ने जवाब नहीं दिया तो रावत और सिंघार ने असंतोष व्यक्त किया और इसके बाद कांग्रेस विधायक सदन से बहिर्गमन कर गये। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी। 

 

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