नई दिल्ली। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में पारित एक निर्णय में सहायक शिक्षकों के 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) के तहत आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया है क्योंकि भर्ती प्रक्रिया इस संबंध में कानून बनने से पहले की गई थी।
राज्य ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा (ईडब्लूएस के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2020 बनाया जिसे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण का लाभ देने के लिए राजपत्र में 31 अगस्त 2020 को प्रकाशित किया गया। इस अधिनियम की धारा-13 के अंतर्गत व्यवस्था है कि ईडब्लूएस अधिनियम उन चयन प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा, जिन्हें इस अधिनियम के लागू होने से पहले शुरू किया जा चुका है।
- यह अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होगा
शिवम पांडेय और कई अन्य द्वारा दायर रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 69 ईडब्लूएस पदों पर भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया 16 मई 2020 से शुरू की गई थी और ईडब्लूएस अधिनियम 31 अगस्त 2020 से प्रभावी हुआ। इस अधिनियम की धारा 13 के मुताबिक यह अधिनियम इस मामले में लागू नहीं होगा।
दिसंबर 2018 में राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा कराने का एक शासकीय आदेश जारी किया था। सभी याचिकाकर्ता अनारक्षित (सामान्य) वर्ग में पात्र थे। इसके बाद, राज्य सरकार ने 69 ईडब्लूएस पदों पर चयन प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, भारत के संविधान में 103वें संशोधन के उपरांत इन याचिकाकर्ताओं ने भर्ती प्रक्रिया में ईडब्लूएस वर्ग का 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग करते हुए ईडब्लूएस प्रमाणपत्र हासिल किए। इन रिट याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान, चयन प्रक्रिया पूरी हो गई और इन याचिकाकर्ताओं का चयन नहीं किया गया क्योंकि मेधा सूची में ये नीचे थे।
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