दोपहिया वाहनों के फाइनेंस से कर्ज के मकड़जाल में उलझ रहे उपभोक्ता

सड़कों पर दौड़ रहे क्षमता से अधिक वाहन 


नरसिंहपुर/ओमप्रकाश होतवानी | जिले में हर महीने 1500 दोपहिया वाहन बिक रहे हैं। यह आंकड़ा है नरसिंहपुर आर.टी.ओ का है।शहर की जनसंख्या के हिसाब से यहां दोपहिया वाहनों की बिक्री का प्रतिशत काफी अधिक है। इसके अतिरिक्त बिना रजिस्ट्रेशन के बिकने वाली बैटरी चलित गाड़ियों की तो कोई गिनती ही नहीं है। आज जहां अन्य जिलों में कंपनी वाहनों का एक ही मुख्य डीलर ही बनाती है, वहां नरसिंहपुर में टीवीएस कंपनी के 2- 2 डीलर मौजूद हैं। जो यह दर्शाता है कि निश्चित ही यह गाडियों की कंपनी अधिक मात्रा में दोपहिया वाहन बेचना चाहती हैं। नरसिंहपुर की हर तहसील, यहां तक की गांव में भी गाड़ियों की शोरूम खुले हुए हैं। पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां तो उपलब्ध हैं ही, बैटरी से चलने वाली हर कम्पनी की दोपहिया वाहनों की भी डीलरशिप उपलब्ध हैं। दोपहिया वाहनों बेचने की होड़ में गला काट प्रतिस्पर्धा को देखते हुए कुछ डीलरों ने दोपहिया वाहन के साथ एलईडी टीवी फ्री देने का लुभावना विज्ञापन देकर ग्राहकों को ललचाया जा रहा है। 



ग्राहकों को न्यूनतम मूल्य पर फाइनेंस सुविधा देकर कर्ज के जाल में फसांया जा रहा है। जिस से मध्यम वर्ग का व्यक्ति किस्त जमा न करने के कारण अपनी गाड़ी से ही हांथ धो रहा है। क्या किसी भी कंपनी की गाड़ियां बेचने के लिए  बड़े-बड़े उपहार देकर बेचा जाना न्याय संगत है? क्या यह गाडियों की गुणवता और विश्वनीयता पर सवाल नहीं उठता? जानकार बताते है की नरसिंहपुर जिले में कर्ज न चुकाने के कारण गाड़ियों के जप्त होने का आंकड़ा काफी बड़ा है। कंपनियों का लालच और कंपनियों द्वारा अधिकृत विक्रेताओं पर बिक्री बढ़ाने के लिए डाले जाने वाला दबाव इन सब हालातो के लिए जिम्मेदार हैं। उपहारों के लालच में खरीदी गई गाड़ियां निश्चित नगर वासियों के लिए सिरदर्द बनने की संभावना है। ट्रेड जानकारों का मानना है की किसी भी दोपहिया गाडी में इतना लाभ नहीं होता कि  उस पर 10 से 12 हजार का मूल्य का उपहार दिया जा सके। हो सकता है इसमें कहीं न कहीं टैक्स कानून के लचीलेपन का फायदा व्यापारियों द्वारा उठाए जाने की संभावना है। जिस में बैटरी गाड़ियों एवं पेट्रोल गाड़ियों के जीएसटी टैक्स के अंतर का लाभ टैक्स जानकारों द्वारा उठाया जा सकता है। जिस की गहन जांच प्रशासन द्वारा की जाना चाहिए, जिससे प्रशासन को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।

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