रोजाना इस्तेमाल की सामग्री के विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त



पतंजलि मामले में बढ़ाया सुनवाई का दायरा, तीन केंद्रीय मंत्रालयों से जवाब तलब

नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद मामले में अपनी सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोजाना इस्तेमाल की सामग्री को लेकर फैल रहे भ्रम पर भी कड़ा रुख अपनाया और तीन केंद्रीय मंत्रालयों से जवाब मांगा।

योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के बालकृष्ण ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ को बताया कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापनों पर 67 समाचार पत्रों में बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी है और वे अतिरिक्त विज्ञापन भी जारी करना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि इन्हें दो दिन में दाखिल करें। अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। पतंजलि मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम तथा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के कार्यान्वयन और संबंधित नियमों की भी बारीकी से पड़ताल की जरूरत है। मुद्दा केवल पतंजलि तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली (एफएमसीजी) सभी कंपनियों तक फैला हुआ है, जो भ्रामक विज्ञापन जारी कर रही हैं और जनता को धोखा दे रही हैं। खासकर शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। 
अदालत ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, सूचना एवं प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालयों से यह बताने को कहा कि उन्होंने उपभोक्ता कानूनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की। इसने आयुष मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों तथा आयुष के दवा नियंत्रकों को अगस्त 2023 में जारी किए गए उस पत्र पर केंद्र से स्पष्टीकरण भी मांगा जिसमें उनसे औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन नियम 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई न करने को कहा गया था। पीठ ने अदालत को प्रभावी सहायता के लिए मामले में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया।
पूछा- माफीनामा विज्ञापन का आकार क्या है
जब पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि माफी के विज्ञापन छापे गए हैं, तो अदालत ने रोहतगी से पूछा, ‘क्या यह उसी आकार का विज्ञापन है जो आप आमतौर पर अखबारों में जारी करते हैं?’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘इसकी कीमत लाखों रुपये है।’ इस पर कोर्ट ने प्रतियां तलब कर लीं।
आईएमए से कहा- आप पर भी उठ रही हैं चार उंगलियां
पीठ ने याचिकाकर्ता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से भी ‘अपना घर व्यवस्थित करने’ को कहा। इसने कहा कि आईएमए के सदस्यों के कथित अनैतिक कृत्यों के बारे में कई शिकायतें की गई हैं जो अत्यधिक महंगी दवाएं और उपचार लिखते हैं। न्यायालय ने आईएमए के वकील से कहा कि जब वे पतंजलि पर उंगलियां उठा रहे हैं, तो अन्य चार उंगलियां आप (आईएमए) पर भी उठ रही हैं। पीठ ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी मामले में सह-प्रतिवादी के रूप में शामिल किया जाएगा। गौर हो कि शीर्ष अदालत 2022 में आईएमए द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कोविड टीकाकरण और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

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