जबलपुर। जिला प्रशासन द्वारा निजी स्कूलों की अवैध फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशकों के साथ उनकी साठगांठ के विरुद्ध की गई कार्रवाई की गूँज सर्वत्र सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा एक अप्रैल को किये गए ट्वीट के बाद की गई इस कार्रवाई ने विभिन्न गतिविधियों के नाम पर अवैध फीस वसूली करने वाले स्कूल संचालकों के विरुद्ध अभिभावकों की आवाज़ को बुलंद तो किया ही है, साथ ही इसके दूरगामी परिणामों को देखते हुए अभिभावकों ने भी बच्चों को अच्छे संस्थानों में पढ़ा-लिखा कर डॉक्टर, इंजीनियर और अफसर बनाने के सपनों को बुनना शुरू कर दिया है।
स्वयंसेवी संगठन ह्यूमैनिटी ऑर्गेनाइजेशन के अभिनव सिंह चौहान ने निजी स्कूलों के विरुद्ध जिला प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना करते हुए निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली और पुस्तक विक्रेताओं एवं प्रकाशकों से उनकी साठगांठ के खिलाफ की गई यह कार्रवाई निश्चित रूप से अभिभावकों का आर्थिक बोझ कम करने में कारगर सिद्ध होगी। व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर के समीप निवास करने वाली रीता कुशवाहा ने भी कलेक्टर दीपक सक्सेना की अगुवाई में निजी विद्यालयों के विरुद्ध मनमानी फीस वसूली को लेकर जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई की जमकर तारीफ की। रीता ने बताया कि बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध अभिभावकों की मजबूरी का लाभ उठाकर स्कूल संचालक उनसे अलग-अलग गतिविधियों के नाम पर अवैध फीस वसूली करते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई जारी रखने का अनुरोध किया। वहीं दमोह निवासी शेख आरिफ ने कहा कि जबलपुर की तर्ज पर ऐसी कार्यवाही की प्रदेश के सभी जिलों में आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा की आड़ में व्यवसाय करने वाले लोगों के खिलाफ ऐसी कार्रवाईयों से निम्न वर्ग के बच्चे भी अच्छे संस्थानों में पढ़ाई लिखाई कर डॉक्टर, इंजीनियर और अफसर आदि बन सकते हैं।
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