अभियान के समापन अवसर पर जल संरचनाओं के पुनर्जीवन व संरक्षण पर दिया जोर
जबलपुर। जल स्त्रोतों को अविरल बनाये जाने के उद्देश्य से जिले में स्थित नदी, तालाबों, कुओं, बावड़ी तथा अन्य जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं पुर्नजीवन का कार्य 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस से 16 जून तक जल गंगा अभियान अंतर्गत उत्साह से किया गया। जिसमें जिले के सभी नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवाहित होने वाली नदियों, तालाब एवं जल संरचनाओं के पुनर्जीवन व संरक्षण का कार्य स्थानीय, सामाजिक, अशासकीय संस्थाओं एवं जनभागीदारी के माध्यम से किया गया। साथ ही जल संरचनाओं में मिलने वाले गंदे पानी के नाले-नालियों को डायवर्सन के उपरांत शोधित करने की कार्ययोजना पर ध्यान दिया गया। इसमें मुख्य रूप से जल संरक्षण के उन्नयन कार्य में कैचमेन्ट के अतिक्रमण को हटाना, कैचमेन्ट के उपचार जैसे- नाले-नालियों की सफाई अथवा इनका डायवर्सन, सिल्ट ट्रैप, वृक्षारोपण, स्टार्म वाटर ड्रेनेज मैनेजमेन्ट इत्यादि, बंड विस्तार, वेस्ट वियर सुधार अथवा निर्माण, जल भराव क्षेत्र में जमा मिट्टी अथवा गाद को निकालना, पिचिंग-घाट निर्माण, इत्यादि की दिशा में भी प्रभावी कार्य किया गया।
ग्रामीण क्षेत्र में अभियान अंतर्गत 700 से ज्यादा कार्य प्रारंभ किये गये। जिसमें 363 कार्य पूर्ण किये गये। जिससे 1 लाख 28 हजार क्यूविक मीटर पानी का संरक्षण किया जा सकेगा। अभियान अंतर्गत 88 हजार 300 क्यूबिक मीटर गाद निकाला गया। जिसे आसपास के किसानों ने अपने खेत को उपजाऊ बनाने के लिये इस्तेमाल किया। वहीं कुछ गाद को जल स्त्रोतों की मेढ़ों पर रखा गया। जिसमें मानसून सत्र के दौरान सघन पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रभावी पहल की जायेगी।
जल संरचनाओं का पुनर्जीवन व संरक्षण आवश्यक : विधायक नीरज सिंह
जल गंगा अभियान के समापन अवसर पर सरस्वती घाट, भेड़ाघाट में आयोजित सभा को संबोधित करते हुये क्षेत्रीय विधायक नीरज सिंह ने कहा कि भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए जल संरचनाओं का पुनर्जीवन व संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने जल की महत्व को बताते हुये कहा कि जल है तो जीवन है, जल है तो कल है। अत: जल के संरक्षण के लिये सभी को सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के प्रयास से जिस प्रकार राधा कृष्ण बावडी को सुंदर जल मंदिर के रूप में विकसित किया गया है। ऐसे ही सभी जल संरचनाओं का विकास होना चाहिये। इसके लिये उन्होंने सभी से आग्रह किया है कि वे श्रम दान कर जल संरचनाओं को समृद्ध और सृदृढ बनायें। उन्होंने कहा कि जल के संवर्धन व संरक्षण एक सतत प्रक्रिया है। जिसमें सभी की सक्रिय सहभागिता हो और अपने आस-पास जो भी स्थान उपलब्ध हो, वहां पौधारोपण करें और पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचायें।
जल संरक्षण के लिये डिवाट स्ट्रक्चर बनाया : सीईओ जिला पंचायत
जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने ने कहा कि जल संरक्षण के लिये डिवाट स्ट्रक्चर निर्मित कराया गया है। इसका उपयोग कई घरों के उपयोग में किए गए अनुपयोगी पानी को पाईप लाईन नाली के माध्यम से डिवाटस स्ट्रक्चर में ले जाकर सात खंडों से फिल्टर करते हुए अनुपयोगी पानी को विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकेगा। बघराजी में लैगून सिस्टम से जल संरक्षण की दिशा में किये गये कार्यो की जानकारी देते हुए कहा कि इससे वहां उपलब्ध पानी का मवेशियों, खेतों में सिंचाई पौधारोपण, स्नान, मछली पालन में उपयोग किया जा सकेगा।
कार्यक्रम में अभियान अंतर्गत उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष आशाा मुकेश गोंटिया सहित स्थानीय जन प्रतिनिधि, अधिकारी, जन अभियान परिषद के नवांकुर संस्थायें और स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
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