नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट' में कथित अनियमितता को लेकर लोकसभा में दावा किया कि धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्री रहते बच्चों को न्याय नहीं मिलेगा।
इस पर प्रधान ने पलटवार किया और कहा कि वह इस सदन में उन पेपर लीक मामलों की पूरी सूची रख सकते हैं जो अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए थे।
सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्न पूछते हुए अखिलेश यादव ने कटाक्ष किया, ‘‘यह सरकार पेपर लीक का रिकॉर्ड बनाएगी।''
उन्होंने कहा, ‘‘क्या उन छात्रों की सूची जारी करेंगे, जिनके सबसे ज्यादा नंबर आएं हैं। कुछ परीक्षा केंद्रों पर दो हजार से ज्यादा बच्चे पास हो गए हैं।'' यादव ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ये मंत्री जी रहेंगे तो बच्चों को न्याय नहीं मिलेगा।''
इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर पिछले तीन दिन में विद्यार्थियों की सूची सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा, ‘‘केरल के विद्यार्थियों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है, तो क्या हम कहेंगे कि वहां कुछ गड़बड़ी हुई।
इस बार एससी, एसटी और ग्रामीण इलाकों के और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, क्या हम उनकी मेधा को चुनौती देंगे?'' प्रधान ने कहा, ‘‘अखिलेश जी जब उत्तर प्रदेश में (मुख्यमंत्री) थे उस समय की पूरी सूची है कि कितनी बार पेपर लीक हुए थे।''
- भाजपा का दीपक ‘फड़फड़ा' रहा है, बहुत जल्द बुझ जाएगा
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा से संबंधित आदेशों को लेकर सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल का दीपक फड़फड़ा रहा है और यह जल्द बुझ जाएगा। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में भाग लेने के लिए सरकारी कर्मचारियों पर लगे प्रतिबंध को हटाने को लेकर केंद्र पर भी हमला किया और कहा कि सांप्रदायिक राजनीति को देश के लोगों ने खारिज कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद ने कहा कि कांवड़ यात्रा से संबंधित आदेशों का हवाला देते हुए भविष्य में केंद्र और भाजपा शासित राज्यों द्वारा इस तरह के और कदम उठाए जाने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘‘सांप्रदायिक राजनीति को लोगों ने खारिज कर दिया है और जैसे दीया बुझने से पहले फड़फड़ाता है, वैसे ही वे (भाजपा) बुझने से पहले फड़फड़ा रहे हैं। इसीलिए ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं।''
सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति देने के केंद्र के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वे ऐसे और कदम उठाएंगे। उन्होंने लंबे समय से लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया है...वे सांप्रदायिक राजनीति को जीवित रखने के लिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि यह अपने अंत के करीब है।''
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