राहुल के घर ईडी रेड की खबर भी लीक : लेख - सुसंस्कृति परिहार


सुसंस्कृति परिहार 

अब तो गजब हो रहा है, राहुल के घर ईडी रेड की खबर भी लीक हो गई। जिसने भी ये सेंध लगाई और राहुल तक ख़बर पहुंचाई उसका नाम राहुल से पूछा जा रहा है। भला, अपने भला करने वाले का नाम वे क्यों बताएं। ये पता लगाना सरकार की गुप्त एजेंसी का काम है। आज कोई साधारण व्यक्ति राहुल की जगह होता तो उसे शाह की पुलिस ने अब तक गिरफ्तार कर नाम उगलवा लिया होता। लेकिन पाला तो डरो मत की अलख जगाने वाले राहुल गांधी से पड़ा है जो इस वक्त इंडिया गठबंधन की डरो मत फौज़ के साथ लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं।
यहां ये महत्वपूर्ण बिंदु है कि अगर राहुल गांधी ने रात्रि दो बजे इंस्टाग्राम और अखबारों को ये खबर ना दी होती तो सुबह-सुबह राहुल के घर को ईडी घेरे दिखती। मगर ये दांव जब रात में फेल हो गया तो छापे की दिशा अखिलेश यादव के घर की ओर पिल पड़ी। यह अपने आप में सिद्ध करता है कि राहुल की भलाई चाहने वाले लोग अब उनके इस चक्रव्यूह को तोड़ने में लग गए हैं। इसलिए भाजपा खासतौर पर गृहमंत्री जी सबसे ज़्यादा परेशान हैं क्योंकि उनके एक सशक्त हितैषी संगठन ईडी में भी छिद्र हो गया है।
 
आज़ मोदी शाह मरता क्या नहीं करता की स्थिति में हैं। इस मनोदशा को समझते हुए संजय राउत तो यह भी कह रहे हैं कि राहुल और अन्य नेताओं को जान का खतरा भी है। उनकी आशंका यह भी है कि हर भाजपा विरोधी को बख़्शा नहीं जाएगा। यह कोरी कल्पना नहीं है, वे डंके की चोट पर कह रहे हैं कि इसकी तैयारी विदेश में चल रही है। उनके पास जो ये बात लीक होकर पहुंची है, वह भी कोई निश्चित तौर पर मोदी शाह विरोधी ही होगा।

यह सब संभव इसलिए भी हो रहा है क्योंकि पहले भाजपाई नेता कांग्रेस से आए लोगों को मंत्री बनाने के ख़िलाफ़ रहे और अब अंदर ही अंदर भाजपा और संघ समर्पित पुराने लोग भी अनुभवहीन नेताओं को मंत्रीमंडल में लिए जाने से मोदी शाह से नाराज़ हैं। इसके साथ साथ तेलगूदेशम और जेडीयू की ब्लेकमेलिंग के ज़रिए करोड़ों की जो सौगात दी गई है। उससे उन प्रदेशों के मुख्यमंत्री भी नाराज़ हुए हैं, जिन्होंने भाजपा को लोकसभा चुनावों में भारी मतों से जिताया है। अंदरुनी कलह की वजह से लगता है कि भाजपा के घर के अंदर बैठे लोग ही इन बातों का लीकेज कर रहे हैं। इसमें पिछले दस सालों से सरकार की प्रशासनिक ताकतें मोदीमयी हो चुकी थीं, उनका विश्वास भी भारत सरकार के प्रति डिगा है, वे भी शामिल हो सकते हैं। भ्रष्टाचार के लीकेज के साथ अब सरकार में भी लीकेज का घुन लग गया है।

बहरहाल, इस तरह के लीकेज सरकार की पुख्ता इमारत को तेजी से क्षरण की ओर ले जाएंगे। इसमें शकओसुबहा की गुंजाइश नहीं रह जाती। जहां तक राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन का सवाल है, उसका क्रेज़ कितना बढ़ा है यह लोकसभा चुनाव परिणाम से सामने आ चुका है। उस पर वार करना आसान नहीं होगा।

कुल मिलाकर प्रतिपक्ष की मजबूती, भाजपा के अंदरुनी टकराव और  लीकेज के बढ़ते ख़तरे मोदी-शाह के जी का जंजाल बन चुके हैं जिनका समाधान दूर दूर तक नज़र नहीं आता।

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