भोपाल | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 25 अगस्त, रविवार को महाराष्ट्र के जलगांव में मध्यप्रदेश की 'लखपति दीदियों' से संवाद करेंगे और उन्हें सम्मानित करेंगे। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की पांच लखपति दीदियां शामिल होंगी, जिनमें गुना जिले की गंगा अहिरवार भी शामिल हैं। श्री मोदी इन दीदियों को सम्मान-पत्र प्रदान करेंगे।
मध्यप्रदेश में 'लखपति दीदी' अभियान के तहत अब तक 96,240 महिलाएं लखपति बन चुकी हैं। यह अभियान राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत चलाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को वित्तीय, बाजार और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाने के लिए डिजीटल प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में लगभग 5 लाख महिला स्व-सहायता समूह गठित किए गए हैं, जिनसे 62 लाख से अधिक गरीब परिवार जुड़े हैं। ये महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। लखपति बनने की संभावना वाली महिलाओं की पहचान लखपति सामुदायिक स्रोत व्यक्ति (सीआरपी) दीदियां कर रही हैं।
- संवाद का हिस्सा बनेंगी ये दीदियां
सीहोर जिले की संगीता मालवीय और गुना जिले की कामिनी शर्मा, छिंदवाड़ा जिले की लक्ष्मी तिर्के और देवास जिले की रोशनी लोधी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगी। इन सभी महिलाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किए हैं और अब वे अपने अनुभवों को प्रधानमंत्री के साथ साझा करेंगी।
- मध्यप्रदेश में होंगे सम्मान कार्यक्रम
जलगांव में होने वाले इस कार्यक्रम के बाद, मध्यप्रदेश के विभिन्न संकुल स्तरीय संघ (सीएलएफ) स्तर पर भी लखपति दीदियों को सम्मानित करने के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के दौरान सीएलएफ से जुड़ी सभी लखपति दीदियों को सम्मान-पत्र प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही, राज्य के सभी जिलों में महिला स्व-सहायता समूहों को लगभग 110 करोड़ रुपये का बैंक ऋण (सीसीएल) और 171 करोड़ रुपये की सामुदायिक निवेश निधि (आरएफ सीआईएफ) का वितरण भी किया जाएगा।
- गंगा अहिरवार की प्रेरणादायक कहानी
गुना जिले के मुहालपुर गांव की गंगा अहिरवार ने 28 साल की उम्र में अपने साहस और मेहनत से कमाल कर दिखाया है। उन्होंने लगभग 7 साल पहले 44 महिलाओं के साथ मिलकर 'उमा स्व-सहायता समूह' की स्थापना की। इस समूह के माध्यम से गंगा दीदी ने 2019 में गुना के कलेक्ट्रेट परिसर में एक कैंटीन शुरू की। नाश्ता-चाय बेचकर उन्होंने अपने परिवार का खर्च चलाना शुरू किया।
भारत सरकार की 100 दिवस कार्ययोजना में गंगा दीदी को संभावित 'लखपति दीदी' के रूप में चुना गया था। उन्होंने आई.एच.एम. भोपाल से पाककला का प्रशिक्षण लिया था, जिसके बाद उन्होंने नाश्ते के साथ-साथ भोजन और टिफिन सेवा भी शुरू की। धीरे-धीरे, उनका कारोबार बढ़ता गया और अब वे हर महीने 15-20 हजार रुपये तक की आय अर्जित कर रही हैं। गंगा दीदी अब 'लखपति दीदी' की श्रेणी में शामिल हो चुकी हैं और उनके प्रेरणादायक सफर ने कई अन्य महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है।
- रोशनी लोधी का संघर्ष और सफलता
देवास जिले के कजलीवन गांव की रहने वाली रोशनी लोधी ने भी अपने जीवन में संघर्ष के बाद सफलता प्राप्त की है। शादी के बाद रोशनी लोधी अपने सास-ससुर और पति के साथ खेती के काम में मदद करती थीं। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अक्सर आस-पास के गांवों से कर्ज लेना पड़ता था। लेकिन 2019 में उन्होंने एक स्व-सहायता समूह का गठन किया, जिसमें शुरुआत में 20 रुपये प्रति सप्ताह की बचत की जाती थी। समूह के माध्यम से रोशनी ने अपने घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करना शुरू किया।
रोशनी ने न केवल अपने गांव में, बल्कि आस-पास के गांवों में भी महिलाओं को संगठित कर 50 स्व-सहायता समूहों का गठन किया। उन्होंने इन महिलाओं को आजीविका के विभिन्न साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद, उन्होंने बैंक बीसी (बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट) का प्रशिक्षण लिया और ग्राम संगठन से 50,000 रुपये का ऋण लेकर एक कंप्यूटर और प्रिंटर खरीदा। इससे उन्होंने 'बैंक सखी' के रूप में काम शुरू किया, जिससे उन्हें हर महीने 20 से 25 हजार रुपये की आय होने लगी।
रोशनी लोधी ने सिलाई का काम भी शुरू किया और गांव की अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़ा। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें बैंक बीसी के रूप में पहचान दिलाई और अब वे रोजाना 3 से 5 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन सफलतापूर्वक कर रही हैं। उनके आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा है, बल्कि समाज में उनके मान-सम्मान को भी बढ़ाया है।
रोशनी लोधी की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो आत्मनिर्भर बनने का सपना देखती हैं। आज वे न केवल अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग दे रही हैं, बल्कि गांव की अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
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