पानी रिसती दीवारों के बीच हो रहा कुपोषित बच्‍चों का इलाज, कार्यवाही कर जवाब दो : आयोग

जबलपुर |  बारिश के मौसम में शहर के लेडी एल्गिन अस्पताल के न्यूट्रीशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (एनआरसी) की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। यहां पर कुपोषित बच्चों का इलाज पानी रिसती दीवारों और उखड़ती सीलिंग के बीच किया जा रहा है। यह स्थिति न केवल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि अस्पताल की लापरवाही को भी दर्शाती है।
  • वार्ड की दुर्दशा
लेडी एल्गिन अस्पताल के एनआरसी में फिलहाल बेड क्षमता से दो गुने कुपोषित बच्चों को भर्ती किया गया है। स्थिति यह है कि वार्ड की दीवारों में सीपेज के कारण दीवारों से पानी रिस रहा है, और सीलिंग से प्लास्टर उखड़कर गिर रहा है। यह बच्चों और उनके परिवार वालों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि यह सीधे तौर पर उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा पर असर डालता है।
  • जिम्मेदारों की लापरवाही
इस गंभीर स्थिति के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने अब तक इस समस्या का समाधान नहीं किया है। वार्ड की दीवारों में हो रहे सीपेज को ठीक करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, जिससे बच्चों के इलाज की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है। यह लापरवाही अस्पताल प्रशासन की गंभीर अनदेखी को दर्शाती है, जो बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है।
  • प्रथम दृष्टया मानव अधिकारों के हनन का मामला
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग के क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी फरजाना मिर्जा ने बताया कि इस मामले में आयोग की मुख्य पीठ ने प्रथम दृष्टया इसे मानव अधिकारों के हनन का मामला माना है। इस संदर्भ में जबलपुर के संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, और कलेक्टर से मामले की जांच कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
  • तीन सप्ताह के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट मांगी 
मानव अधिकार आयोग ने इस मामले में स्पष्ट रूप से कहा है कि कुपोषित बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में शीघ्र उचित कार्यवाही की जानी चाहिए। आयोग ने तीन सप्ताह के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है, ताकि बच्चों के इलाज में आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सके।
  • समस्या का समाधान और अस्पताल की जिम्मेदारी
अस्पताल प्रशासन को इस समस्या का तुरंत समाधान करना चाहिए। दीवारों की सीपेज और सीलिंग से प्लास्टर गिरने जैसी समस्याओं को ठीक कर बच्चों के इलाज के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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