थैलेसीमिया व सिकिलसेल पर जबलपुर में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित दिल्ली, गुडगांव, बेंगलुरू से आए डॉक्टर, यूएसए से ऑनलॉइन जुड़े डॉक्टर
जबलपुर। थैलेसीमिया जन जागरूकता समिति मध्यप्रदेश द्वारा मानस भवन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। कार्यशाला के पहले दिन, 24 अगस्त को, विशेषज्ञ चिकित्सकों ने थैलेसीमिया रोग की रोकथाम और मरीजों एवं उनके परिवारजनों द्वारा देखभाल की जानकारी प्रदान की। वहीं, 25 अगस्त को, विभिन्न राज्यों और जिलों से आई सामाजिक संस्थाओं को थैलेसीमिया, सिकिलसेल, और रक्तदान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया जाएगा। यह आयोजन स्वर्गीय गुरूशरण कौर और अनुश्री घोष की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है।
इस आयोजन में साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, समाजसेवी नरेश ग्रोवर, समाजसेवी कैलाश गुप्ता, बेंगलुरु से डॉ. सुनील भट्ट, अपोलो अस्पताल दिल्ली से डॉ. गौरव खारिया, मेदांता गुड़गांव से डॉ. सत्य प्रकाश यादव, इंदौर से डॉ. सुनित लोकवानी, भोपाल से डॉ. श्वेता शर्मा, दिल्ली से डॉ. जे. एस. ओरारा, और ऑनलाइन माध्यम से यूएसए से डॉ. प्रकाश सतवानी, स्वास्थ्य मंत्रालय से विनीता श्रीवास्तव सहित अन्य प्रमुख लोग ऑनलाइन जुड़कर कार्यशाला में उपस्थित हुए। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पराज पटेल, डॉ. हरजीत कौर बंसल, डॉ. शरद जैन, डॉ. रविन्द्र विश्नोई, डॉ. रविन्द्र छाबड़ा, और डॉ. नितिन शर्मा ने भी थैलेसीमिया और सिकिलसेल रोग की गंभीरता और इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- विवाह और गर्भधारण से पूर्व थैलेसीमिया जांच अनिवार्य हो
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि थैलेसीमिया एक ऐसा रोग है जिसे जागरूकता के माध्यम से रोका जा सकता है। इसके लिए सरकार, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन, शासन-प्रशासन और नागरिकों के संयुक्त प्रयासों से जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है, जिससे थैलेसीमिया और सिकिलसेल जैसी बीमारियों को फैलने से रोका जा सके। इस दिशा में पहला कदम नवयुवक और नवयुवतियों के विवाह से पूर्व थैलेसीमिया की जांच को अनिवार्य करना होगा। इसके साथ ही, गर्भधारण से पहले महिलाओं की थैलेसीमिया जांच को भी अनिवार्य बनाने की सख्त आवश्यकता है। इन प्रयासों से थैलेसीमिया और सिकिलसेल से पीड़ित नए बच्चों के जन्म को रोका जा सकता है।
- थैलेसीमिया पीड़ितों की देखभाल
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को समय पर रक्त चढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका हीमोग्लोबिन स्तर 9 से 10 के बीच बना रहे और आयरन का स्तर कम से कम 1,000 के आसपास हो। इससे पीड़ित बच्चों की विकास प्रक्रिया सुचारु रहेगी और आयरन के बढ़ने के कारण उत्पन्न होने वाली अन्य बीमारियों से भी उन्हें बचाया जा सकेगा।
इसके अलावा, थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों को अपनी जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नियमित चिकित्सा जांच, पोषण युक्त आहार, और स्वस्थ दिनचर्या अपनाकर वे इस बीमारी से होने वाले संभावित खतरों को कम कर सकते हैं। कार्यशाला में सरकार द्वारा थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी साझा की गई, जिससे वे इनका लाभ उठाकर अपनी देखभाल में सुधार कर सकें।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया और सिकिलसेल जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है |
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