भारतीयों में पोषक तत्वों की कमी से बढ़ रही स्वास्थ्य समस्याएं, रिसर्च में चिंताजनक खुलासे



राष्ट्रीय पोषण सप्ताह पर विशेष 

नई दिल्ली | भारत में विभिन्न आयु वर्ग के लोग महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैसे आयरन, कैल्शियम और फोलेट, की पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं कर रहे हैं। यह खुलासा 'द लांसेट ग्लोबल हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन में किया गया है। यह अध्ययन 185 देशों में 15 सूक्ष्म पोषक तत्वों की अपर्याप्त खपत का आकलन करने वाला पहला प्रयास है, जो दैनिक आहार से पूर्ति किए जाने वाले पोषक तत्वों का विश्लेषण करता है, बिना किसी 'सप्लीमेंट' के उपयोग के। इस अध्ययन में अमेरिका स्थित हार्वर्ड विश्वविद्यालय और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधकर्ताओं ने योगदान दिया है।

अध्ययन के नतीजे दर्शाते हैं कि विश्व की लगभग 70 प्रतिशत आबादी, यानी पांच अरब से अधिक लोग, आयोडीन, विटामिन-ई और कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा का सेवन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा, यह भी पाया गया कि महिलाओं में आयोडीन, विटामिन-बी12 और आयरन की कमी पुरुषों की तुलना में अधिक पाई जाती है।

इसके विपरीत, पुरुषों में मैग्नीशियम, विटामिन-बी6, जिंक और विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा में कमी अधिक पाई गई। भारत में, आयोडीन की पर्याप्त मात्रा का सेवन न करने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा अधिक है, जबकि पुरुषों में जिंक और मैग्नीशियम की कमी का अनुपात अधिक पाया गया है।

शोधकर्ताओं ने 'ग्लोबल डायटरी डेटाबेस' के सार्वजनिक आंकड़ों का उपयोग कर 99.3 प्रतिशत वैश्विक आबादी में पोषक तत्वों की अपर्याप्तता का आकलन किया। अध्ययन में पाया गया कि कैल्शियम की कमी खासतौर पर 10 से 30 साल के लोगों में अधिक है, खासकर दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में।

शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि इस अध्ययन के नतीजे स्वास्थ्य पेशेवरों को उन लोगों की पहचान करने में सहायक हो सकते हैं, जिन्हें पोषण संबंधी हस्तक्षेप की सबसे ज्यादा जरूरत है। अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया कि फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स का सेवन इस अध्ययन में शामिल नहीं किया गया था, इसलिए कुछ स्थानों पर यह परिणाम अधिक सटीक हो सकते हैं जहां लोग उच्च मात्रा में फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों और पूरकों का सेवन करते हैं। यह निष्कर्ष भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह से ठीक पहले आया है, जो 1 सितंबर से 7 सितंबर तक मनाया जाता है।

  • पोषण विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

मुंबई स्थित जीनोमिक्स आधारित डायग्नोस्टिक समाधान प्रदाता, हेस्टैकएनालिटिक्स की विकास एवं वैज्ञानिक सहायता प्रमुख, आनुवंशिकीविद् अपर्णा भानुशाली ने इस अध्ययन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह न केवल सीमित आहार विविधता को उजागर करता है, बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता में सामाजिक-आर्थिक बाधाओं को भी दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि भारतीय आहार में आमतौर पर आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं, लेकिन चावल और गेहूं जैसे प्रमुख अनाजों पर निर्भरता, जिनमें ये पोषक तत्व कम मात्रा में होते हैं, इसके कारण पोषण की कमी देखने को मिल रही है। इसके अतिरिक्त, लौह तत्व के प्रकार, अवशोषण अवरोधकों की मौजूदगी और क्षेत्रीय आहार स्वरूप जैसे कारक भी सूक्ष्म पोषक तत्वों की जैव उपलब्धता और अवशोषण दर को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं।

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