बरगी नगर। माता-पिता के बाद, शिक्षक ही वह धुरी हैं जो बच्चों के जीवन की दिशा को मोडऩे की सामथ्र्य रखते हैं। बरगी नगर संकुल केंद्र में श्रीकृष्ण रायखेरे जैसे शिक्षक इसी धुरी का सजीव उदाहरण हैं। उनकी त्वरित कार्यशैली और कठोर अनुशासन के लिए वह समर्पित हैं।
हालांकि, उनकी इसी कार्यशैली के चलते उन्हें आंतरिक असंतोष का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन उनके नियमों का कठोर पालन और समय की पाबंदी ने उन्हें जिला स्तर के उच्च अधिकारियों के बीच प्रशंसा का पात्र बना दिया है। उनके अद्वितीय शिक्षकीय और प्रशासनिक योगदान के कारण, उन्हें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिला स्तर पर सम्मानित किया गया है। इस सम्मान को जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना और उप मुख्यमंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने प्रदान किया।
- दैनिक निरीक्षण: शिक्षा व्यवस्था पर पैनी नजर
किशन रायखेरे का मानना है कि विद्यालयों की शिक्षा प्रणाली और शिक्षकों की समय पर उपस्थिति उनकी प्राथमिकता में होती है। अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर वह प्रतिदिन एक या दो स्कूलों का आकस्मिक दौरा करते हैं, जिससे वे व्यवस्थाओं का गहन निरीक्षण कर सकें। क्षेत्रवासियों का कहना है कि उनकी इस नियमित निरीक्षण प्रणाली के कारण उनके कायज़्क्षेत्र में आने वाले स्कूलों में शिक्षकों के समय पर उपस्थिति और बच्चों की शैक्षणिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
संकुल प्राचार्य श्रीकृष्ण रायखेरे |
- प्रशासनिक उत्कृष्टता: रायखेरे का योगदान
श्री रायखेरे बताते हैं कि उन्हें सौंपे गए हर विभागीय कार्य को वे पूर्ण निष्ठा के साथ संपन्न करते हैं। चाहे वह परीक्षा से संबंधित कार्य हो या विद्यालयों की मान्यता की जांच, वे अपने सभी दायित्वों में शत-प्रतिशत योगदान देने का प्रयास करते हैं। उनके इस समर्पण के कारण वे न केवल अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के बीच, बल्कि जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों के बीच भी सम्मानित होते हैं। उनकी टीम ने जबलपुर कलेक्टर के निर्देशन में बच्चों के बस्ते के बढ़ते बोझ तथा फीस वृद्धि पर भी विशेष कार्य किए गए हैं।
- जीवन यात्रा और भविष्य की दृष्टि
श्रीकृष्ण रायखेरे का जन्म श्री जय राम रायखेरे के पुत्र के रूप में हुआ। उनकी पहली नियुक्ति देवास जिले में उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में हुई थी। 31 वर्षों की समर्पित सेवा के बाद, 2008 में उन्होंने नरसिंहपुर जिले के करेली में संकुल प्राचार्य के रूप में पदभार संभाला। इसके बाद, उन्होंने कमला नेहरू और बरगी नगर में संकुल प्राचार्य के रूप में कार्य किया। श्री रायखेरे का यह दृढ़ विश्वास है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी शिक्षकों का सहयोग आवश्यक है। बरगी नगर संकुल केंद्र में कार्य करते हुए, उनका निरंतर प्रयास रहा है कि क्षेत्र के सभी विद्यालयों में शिक्षकीय गुणवत्ता और आधारभूत संरचना में सुधार हो। विशेष रूप से, बरगी बांध की डूब क्षेत्र में बसे कठोतिया और बढ़ईयाखेड़ा जैसे कठिन पहुंच वाले क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों में भी शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने विशेष प्रयास किए हैं। इन स्थानों तक पहुँचने के लिए जल मार्ग का सहारा लेना पड़ता है, जो कि शिक्षकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसके बावजूद, शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए शत-प्रतिशत योगदान देने का प्रयास करते हैं।
श्री रायखेरे का मानना है कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे देश के भविष्य के नागरिक हैं। उनकी शिक्षा और विकास पर ध्यान देना ही देश के उज्ज्वल भविष्य का आधार है। उनका सपना है कि ये बच्चे आगे चलकर देश का नाम रोशन करें और अपने जीवन में उच्च स्थान प्राप्त करें।
श्रीकृष्ण रायखेरे की समर्पणपूर्ण सेवा, कठोर अनुशासन और शिक्षा के प्रति अटूट निष्ठा ने उन्हें शिक्षा जगत में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। उनके प्रयासों से न केवल स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हुआ है, बल्कि बच्चों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आया है। उनकी कार्यशैली और अनुशासनप्रियता से प्रेरित होकर, आज वह एक आदर्श शिक्षक और प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं।
एक टिप्पणी भेजें