यूपी में लोगों के लिए खतरा बने भेड़िया, बाघ और सांप !


18 जिले के कई गांव सर्पदंश के लिए संवेदनशील घोषित

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के भेड़िया, बाघ और सांप लोगों के जीवन के लिए खतरा बन गए हैं| बीते मार्च से सूबे के दस से ज्यादा जिलों के 40 से अधिक गांवों में  भेड़ियों के आतंक से ग्रामीण रातों को जागकर पहरेदारी कर रहे हैं| ताकि उनके बच्चे और पशुओं को भेड़ियों से बचाया जा सके| पीलीभीत, लखीमपुर खीरी और बहराइच में जंगल से निकल कर गांव में आ जाने वाले बाघ भी ग् को चैन से सोने नहीं दे रहे हैं| इसी तरह से यूपी के 18 जिलों में सांप के काटने (सर्पदंश) की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा हैं| इस कारण अब इन 18 जिलों में सर्पदंश न्यूनीकरण (कम करने) के लिए अभियान चलाए जाने का फैसला किया गया| इस अभियान के तहत इन 18 जिलों में लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वे सांप काटने पर बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें| यह भी बताया जाएगा कि त्वरित उपचार ही इसका समुचित उपाय है| इसलिए सर्पदंश के किसी भी मामले में तांत्रिक के चक्कर में ना पड़े, तांत्रिक से झाड़फूंक कराने में सर्पदंश का शिकार हुए श्क्स की जान भी जा सकती है|  

  • सर्पदंश से हर साल यूपी में होती हैं करीब 600 मौतें 

उत्तर प्रदेश में बीते छह माह से भेड़िया और बाघ ग्रामीणों के लिए संकट बने हुए थे| बीते मार्च से अब तक भेड़ियों ने सूबे के 40 से अधिक गांवों में 10 लोगों की जान ली और 50 से अधिक लोगों को घायल किया है| इसी प्रकार लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में भी बाघों के दो लोगों को अपना शिकार बनाया है| भेड़िया और बाघ के आतंक से लोगों को सुरक्षित करने के लिए वनविभाग के अधिकारी बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में सक्रिय हैं| वहीँ सर्पदंश से बचाव को लेकर अब प्रदेश का राहत एवं आपदा विभाग ने अभियान चलाएगा| इस अभियान में वन विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे| राज्य के राहत आयुक्त के अनुसार, प्रदेश में सांप के काटने से हर साल औसतन 600 मौतें होती हैं| बरसात के दौरान सर्पदंश की घटनाओं में इजाफा देखा गया है| प्रदेश सरकार सर्पदंश से होने वाली मौतों को कम करना चाहती है| इसके चलते प्रदेश में सर्पदंश की अधिकता वाले 18 जिलों को चिन्हित कर अब उनमें केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजना के तहत सर्पदंश बचाव अभियान कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया गया है| इस कार्यक्रम/अभियान के तहत लोगों को जागरुक कर सर्पदंश से होने वाली मौतों को कम करने का प्रयास किया जाएगा| लोगों को बताया जाएगा कि सर्पदंश के हर मामले में क्या प्राथमिक चिकित्सा की जाए| फिर सर्पदंश के निदान और प्रबंधन के लिए क्या कदम उठाए जाए| लोगों को यह जानकारी देने के साथ ही गांव के युवाओं और बुजुर्गों को सर्पदंश से बचाव का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि वह सर्पदंश के शिकार हुए शख्स का प्राथमिक इलाज कर उसे नजदीक के अस्पताल तक ला सके|

  • इन जिलों में चलाया जाएगा अभियान

प्रदेश में सर्पदंश के लिए सर्वाधिक संवेदनशील मानते गए के जिन 18 जिलों को सर्पदंश से बचाव का अभियान चलाया जाएगा, उनमें अंबेडकरनगर, आजमगढ़, बलिया, बस्ती, चंदौली, देवरिया, गोरखपुर, जौनपुर, कुशीनगर, मऊ, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर व सुल्तानपुर जिले हैं| राहत आयुक्त के अनुसार, इन जिलों के लिए सर्पदंश से बचाव के लिए 11.70 करोड़ रुपए जारी किए हैं| इसके पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में गाजीपुर, बाराबंकी व सोनभद्र में यह कार्यक्रम चलाया जा चुका है| इन तीनों जिलों में इस अभियान के चलाए जाने से वहां सर्पदंश की घटनाओं में कमी आई है| यही वजह है कि अब इसे 18 जिलों में चलाए जाने का फैसला किया गया|

Web Title: Wolves tigers and snakes have become problem for villagers in Uttar Pradesh All villages in 18 distric

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