नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा स्वैच्छिक शिक्षकों की भर्ती के संबंध में दिए गए एक आदेश को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय महज कुछ पत्रों के आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जांच का निर्देश बिना उचित कारण बताए नहीं दे सकता।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह निर्णय लिया। अदालत ने गोरखा प्रादेशिक प्रशासन में स्वैच्छिक शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति के लिए सीबीआई द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) की जांच को रोकने का आदेश भी जारी किया, जिसे प्रभारी मंत्री को बिना किसी स्पष्ट भर्ती प्रक्रिया के पत्र लिखने के आधार पर किया जा रहा था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 9 और 19 अप्रैल 2024 को इन पत्रों के आधार पर जांच के आदेश दिए थे। पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा, "इसमें कोई शंका नहीं है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को सीबीआई से जांच करवाने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इस शक्ति का उपयोग करने से पहले यह देखना आवश्यक है कि राज्य पुलिस द्वारा की गई जांच में निष्पक्षता की कमी क्यों महसूस हो रही है। सिर्फ कुछ पत्रों के आधार पर इस तरह की कार्रवाई को उचित नहीं ठहराया जा सकता।"
खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच का निर्देश केवल अत्यंत दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही दिया जाना चाहिए, और यह एक ऐसा मामला नहीं था जहां इस तरह का कदम जरूरी हो।
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