नहीं रहे वरिष्ठ पत्रकार कादिर खान अफरीदी


जबलपुर। वरिष्ठ पत्रकार कादिर खान अफरीदी का 84 वर्ष में शनिवार देर रात आकस्मिक निधन हो गया। रज़ा चौक, आनंद नगर, अधारताल निवासी कादिर खान अफरीदी की अंतिम यात्रा में जिला व पुलिस तथा नगर निगम, विधुत मंडल, आयुध निर्माणी प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी, पत्रकार तथा राजनैतिक व सामाजिक हस्तियां ने नम आंखों से विदाई दी। ततपश्चात उन्हें मंडी मदार टेकरी कब्रस्तान में सुपर्दे खाक किया गया। वे राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी शकील खान अफरीदी के पिता थे। 
  • खेल पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान की
उल्लेखनीय है कि श्री खान अपने जमाने के राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी रहते कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओ का प्रतिनिधित्व किया। कुश्ती के महानायक गुरु हनुमान उनके अभिन्न मित्र रहे। सीओडी फैक्टरी में कार्यरत रहते हुए सन 1970 में नवीन दुनिया समाचार पत्र से उन्होंने अपनी पत्रकारिता प्रारम्भ की और नगर खेल पत्रकारिता के जनक बने। उन्होंने खेल पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान की। अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगिता हो या नगर की छोटी सी छोटी प्रतियोगिता हो वे स्वयं उपस्थित होकर रिपोर्टिंग करके संपूर्ण मैच का विवरण निष्पक्ष रूप से अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करते थे और जब कभी भी आयोजक या खिलाड़ी समाचार लेकर प्रेस जाते तो वहां पर भी वे उन्हें पूरा सम्मान देते हुए समाचार प्रकाशित करते थे। वैसे तो उन्हें सभी खेलों का ज्ञान एवं रुचि थी किंतु विशेष रूप से उन्हें हॉकी खेल से जुड़ाव रहा है क्योंकि वे स्वयं भी सेंट्रल सेंट्रल आर्डिनेंस डिपो एवं कैंट रोवर्स क्लब से हॉकी खेलते थे। मृदुभाषी सहज सरल स्वभाव के कादिर खान अफरीदी कव्वाली, मुशायरा व कवि सम्मेलन, शेरों शायरियों के शौकीन रहे, साथ ही खिलाड़ियों की समस्याओं को सुलझाने में खेलों के विकास के लिए खेल प्रतियोगिताओं की सफल आयोजन के लिए वह अपनी खेल पत्रकारिता की विशेष भूमिका से अपना उत्तरदायित्व निभाते थे। वे कमजोर खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से मदद भी करते एवं अपनी लेखनी के माध्यम से खिलाड़ी को आगे बढ़ाने में अपना विशेष योगदान प्रदान करते थे, इसलिए नगर के खिलाड़ियों में उनका एक विशिष्ट सम्मान था। जब कभी भी खेल पत्रकारों की बात होगी, खेल प्रेमी एवं खिलाड़ियों की बात होगी उनका नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाएगा। साथ ही 54 वर्ष की पत्रकारिता से वे मीडिया जगत के भीष्म पितामह भी बने, 84 की उम्र में भी वे खुद गाड़ी चलाकर युवाओं की तरह ही दौड़ा भागी करते रहे। वर्तमान में वे ईएमएस जबलपुर एक्सप्रेस समाचार पत्र में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उनके यूं चले जाने से सभी पत्रकार व खेल प्रेमी खिलाड़ी ग़मगीन हैं।

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