राजभाषा नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन

स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति की समीक्षा बैठक आयोजित
हिंदी प्रश्नमंच एवं हिंदी वाक् प्रतियोगिता का आयोजन



जबलपुर। दमोह स्टेशन प्रबंधक कार्यालय में स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति की त्रैमासिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता स्टेशन प्रबंधक एवं समिति के अध्यक्ष मुकेश कुमार जैन ने की। बैठक में वरिष्ठ अनुवादक किशोर कुमार साहू, समिति संयोजक साहिब सिंह सहित विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारियों और सदस्यों ने भाग लिया।

समिति संयोजक साहिब सिंह (कार्यालय अधीक्षक) ने बैठक का संचालन किया और सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए बताया कि दमोह स्टेशन पर राजभाषा नीतियों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यालयों में द्विभाषी नाम, पदनाम और सूचना पट्टियों की स्थापना कर दी गई है, साथ ही पत्राचार में हिंदी के उपयोग को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं।
  • राजभाषा के प्रसार की सराहना
मंडल राजभाषा विभाग के निरीक्षक किशोर कुमार साहू ने सभी विभागों से त्रैमासिक राजभाषा रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने की अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जिन विभागों ने रिपोर्ट नहीं भेजी, उन्हें रिमाइंडर भेजे जाएंगे। बैठक में सचिव द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में राजभाषा के प्रसार की स्थिति पर चर्चा की गई और इसके सफल क्रियान्वयन की सराहना की गई।
  • वाक् प्रतियोगिता में जंक फूड पर चर्चा
बैठक के बाद हिंदी वाक् प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें "क्या जंक फूड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?" विषय पर प्रतिभागियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रमुख वक्ताओं में मुकेश कुमार जैन, राजेश सहगल, रीना श्रीवास्तव, पंकज तिवारी, शुभम राय और रविंद्र सिंह शामिल थे। प्रतियोगिता में रविंद्र सिंह ने प्रथम, रीना श्रीवास्तव ने द्वितीय और रामनिवास मीणा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
  • हिंदी प्रश्नमंच का आयोजन
इसके बाद, हिंदी प्रश्नमंच का आयोजन किया गया, जिसमें 50 सामान्य ज्ञान और राजभाषा हिंदी से संबंधित प्रश्न पूछे गए। सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उप निरीक्षक जितेंद्र देव मिश्रा, कल्याण निरीक्षक विश्वदीप ठाकुर, मुख्य टिकट निरीक्षक रतनलाल अहिरवार सहित अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।

बैठक और कार्यक्रमों ने न केवल राजभाषा हिंदी के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि हिंदी भाषा के प्रति कर्मचारियों में उत्साह और जागरूकता भी बढ़ाई।

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