तिथि की कविता, मानवता को गहराई से पुनःस्थापित करने का एक संवेदनशील प्रयास

 

तिथि दानी के काव्य संग्रह 'अवचेतन पर गिरते हैं संकेतों के फूल' का विमोचन
जबलपुर। "तिथि दानी ने अपनी अलग पहचान स्थापित की है, जो उनके पिता से अलग होते हुए भी एक गौरवशाली उपलब्धि है। विदेश में रहते हुए भी उन्होंने हिंदी के प्रति जो सेवा कार्य किया है, वह अत्यंत प्रशंसनीय है। तिथि की कविता, मानवता को गहराई से पुनःस्थापित करने का एक संवेदनशील प्रयास है।" ये विचार सुप्रसिद्ध आलोचक निशा तिवारी ने व्यक्त किए, जो रानी दुर्गावती कलावीथिका में तिथि दानी के काव्य संग्रह 'अवचेतन पर गिरते हैं संकेतों के फूल' के विमोचन और उस पर आयोजित चर्चा की अध्यक्षता कर रही थीं।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के स्वागत से हुआ। उसके बाद कवि विवेक चतुर्वेदी ने सभी उपस्थित अतिथियों का परिचय कराया और कार्यक्रम की पृष्ठभूमि स्पष्ट की। इसके पश्चात तिथि दानी की कविताओं का सारगर्भित परिचय प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथियों द्वारा संग्रह का विधिवत विमोचन किया गया। विमोचन के उपरांत कृति पर विमर्श के दौरान बांदा से पधारे प्रख्यात आलोचक शशिभूषण मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "कविता मनुष्य के विवेक और उसकी संभावनाओं का प्रबल प्रतीक है। यह स्वप्नहीनता के खिलाफ एक ऐसा सशक्त कदम है, जो सोच की सीमाओं को लांघता है।"

प्रसिद्ध कवि और आलोचक पंकज चतुर्वेदी ने तिथि दानी की कविताओं को एक संवेदनशील, बुद्धिमान और वैश्विक स्त्री नागरिक की आवाज़ बताया, जो मूल्यनिष्ठा और भूमंडलीकरण के संघर्षों को उजागर करती है।

अंत में, श्री चतुर्वेदी ने अपनी कुछ चुनिंदा कविताओं का सशक्त पाठ किया, जिसे श्रोताओं ने अत्यंत सराहा। इस अवसर पर विवेक चतुर्वेदी ने कार्यक्रम का संचालन बखूबी किया, जबकि शरद उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया।

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