चंडीगढ़। हरियाणा में नई सरकार का गठन हो गया है। नायब सिंह सैनी के साथ उनके 13 मंत्रियों ने भी शपथ ली है। भव्य शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह सहित एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए। आइए जानते हैं मुख्यमंत्री व उनके मंत्रियों के बारे में…
- नायब सिंह सैनी - सांसद भी रह चुके हैं
तीसरी बार विधायक बने हैं। इस बार लाडवा हलके से कांग्रेस के सिंटिंग विधायक मेवा सिंह को 16 हजार 54 मतों से चुनाव हराया है। पहली बार 12 मार्च को मनोहर लाल की जगह उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। पहला कार्यकाल 216 दिनों का रहा। भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके इस बार विधानसभा चुनाव लड़ा। नतीजतन, भाजपा 48 विधायकों के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने में कामयाब रही। लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की है। सांसद भी रह चुके हैं।
- अनिल विज- संघ पृष्ठभूमि से आते हैं
भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल। अंबाला कैंट से सातवीं बार विधायक बने हैं। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य व तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे। वहीं मनोहर पार्ट-।। में गृह व स्वास्थ्य मंत्री रहे। नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई। पुराने भाजपाई हैं और संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। बैंक की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा। इस बाद कांग्रेस की बागी और निर्दलीय प्रत्याशी चित्रा सरवारा को 7 हजार 277 मतों से शिकस्त देकर चुनाव जीता है।
- कृष्ण लाल पंवार - भाजपा का बड़ा एससी चेहरा
इसराना हलके से कांग्रेस के सिटिंग विधायक रहे बलबीर सिंह वाल्मीकि को 13 हजार 895 मतों से चुनाव हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। 2014 में भी भाजपा टिकट पर इसराना से विधायक बने थे और मनोहर लाल सरकार में राज्य के परिवहन व जेल मंत्री रहे। 2019 का चुनाव हार गए तो भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया। भाजपा का बड़ा एससी चेहरा हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नजदीकियों में गिनती होती है। इनेलो टिकट पर भी इसराना से विधायक बन चुके हैं।
- राव नरबीर सिंह - पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे
बादशाहपुर हलके से कांग्रेस के वर्द्धन यादव को 60 हजार 705 मतों से चुनाव हराया है। 2014 में भी यहीं से विधायक बने थे। मनोहर लाल सरकार में राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। अब एक बार फिर भाजपा ने राव नरबीर सिंह पर भरोसा जताया। अब वे नायब सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बने हैं। राव नरबीर सिंह के बारे में एक बात यह है कि वे जब भी विधायक बने हैं, मंत्री भी रहे हैं। हालांकि एक बार सरकार में रहने के बाद वे दूसरी बार बाहर भी रहते हैं।
- महिपाल सिंह ढांडा - जीत की हैट्रिक लगाई
संघ पृष्ठभूमि के महिपाल सिंह ढांडा ने पानीपत ग्रामीण सीट से जीत की हैट्रिक लगाई है। इस बार उन्होंने कांग्रेस के सचिन कुंडू को 50 हजार 212 मतों के बड़े फासले से चुनाव में शिकस्त दी है। नायब सरकार में विकास एवं पंचायत तथा सहकारिता मंत्री रहे महिपाल सिंह ढांडा इस बार कैबिनेट मंत्री बने हैं। महिपाल सिंह ढांडा भाजपा युवा व किसान मोर्चा में भी रहे हैं। युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके महिपाल सिंह ढांडा लगातार दूसरी बार संघ की सिफारिश पर कैबिनेट में शामिल हुए हैं।
- विपुल गोयल - बड़ा वैश्य चेहरा
भाजपा का बड़ा वैश्य चेहरा हैं। फरीदाबाद हलके से दूसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार 2014 में विधायक बने थे। उस समय मनोहर सरकार में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रहे। 2019 में भाजपा ने उनकी टिकट काटकर नरेंद्र गुप्ता को चुनाव लड़वाया। इस बार सिटिंग विधायक होते हुए नरेंद्र गुप्ता की टिकट काटकर भाजपा ने फिर से विपुल गोयल पर भरोसा जताया। चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार लखन सिंगला को 48 हजार 388 मतों के बड़े अंतर के साथ चुनाव हराकर विधानसभा में पहुंचे हैं।
- अरविंद शर्मा - तीन संसदीय सीटों से सांसद बन चुके हैं
प्रदेश के अकेले ऐसे नेता हैं, जो तीन संसदीय सीटों से सांसद बन चुके हैं। दो बार करनाल, एक बार सोनीपत और एक बार रोहतक से सांसद बन चुके हैं। इस बार रोहतक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत सके। भाजपा ने उन्हें गोहाना से टिकट दिया और वे कांग्रेस के सिटिंग विधायक जगबीर सिंह मलिक को 10 हजार 429 मतों से चुनाव हराने में कामयाब रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नजदीकियां मानी जाती हैं। ब्राह्मण कोटे से उन्हें नायब सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
- श्याम सिंह राणा - राजपूत कोटे से टिकट मिला
भाजपा ने राजपूत कोटे से उन्हें टिकट दिया था। अब इसी कोटे से नायब कैबिनेट में शामिल हुए हैं। रादौर हलके से कांग्रेस के सिटिंग विधायक बिशन लाल सैनी को 13 हजार 132 मतों से चुनाव में शिकस्त दी है। 2014 में रादौर से पहली बार विधायक बने थे और मनोहर सरकार में मुख्य ससंदीय सचिव भी बने। 2019 में उनका टिकट काट दिया गया और कर्णदेव काम्बोज को लड़ाया। इस बार फिर से उन पर भरोसा जताया। भाजपा छोड़कर इनेलो में भी गए थे। इस बार फिर से भाजपा में आ गए।
- रणबीर सिंह गंगवा - इनेलो के राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं
लम्बे समय तक इनेलो में सक्रिय रहे। इनेलो के राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। 2014 में नलवा सीट से इनेलो टिकट पर विधायक बने। 2019 में भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने उन्हें नलवा से टिकट दिया। चुनाव जीतने में कामयाब रहे। मनोहर सरकार ने उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया। इस बार नलवा की जगह उन्हें बरवाला से चुनाव लड़वाया। बरवाला में कांग्रेस के रामनिवास घोड़ेला को 26 हजार 942 मतों से चुनाव हराया। मनोहर लाल के नजदीकियों में गिनती होती है।
- कृष्ण बेदी - भाजपा के पुराने नेता और संघ पृष्ठभूमि से आते हैं
भाजपा के पुराने नेता हैं और संघ पृष्ठभूमि से आते हैं। 2014 में पहली बार शाहबाद हलके से विधायक बने। दलित कोटे से मनोहर सरकार में उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया। 2019 का चुनाव वे जजपा के रामकरण काला के हाथों हार गए। इसके बाद मनोहर लाल ने उन्हें अपना राजनीतिक सचिव बनाया। इस बार उन्हें शाहबाद की बजाय जींद जिला के नरवाना हलके से चुनाव लड़वाया। नरवाना सीट से वे कांग्रेस के सतबीर दलबैन को 11 हजार 499 मतों के अंतर से चुनाव हराने में कामयाब रहे।
- श्रुति चौधरी - कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं
तोशाम हलके से अपने ही चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी को 14 हजार 257 मतों के अंतर से चुनाव हराया है। 2009 में भिवानी-महेंद्रगढ़ से कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं। भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल की पोती हैं। मई में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस छोड़कर अपनी माता किरण चौधरी के साथ भाजपा में शामिल हुईं। किरण को भाजपा ने राज्यसभा सांसद बनाया हुआ है। प्रदेश में चौ. बंसीलाल व जाट वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने श्रुति को नायब कैबिनेट में जगह दी है।
- आरती सिंह राव - अहीरवाल बेल्ट में प्रभाव
पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह की पोती हैं। उनके पिता राव इंद्रजीत सिंह मोदी सरकार में लगातार तीसरी बार मंत्री हैं। अटेली हलके से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में कामयाब रहीं। अहीरवाल बेल्ट में राव इंद्रजीत सिंह के प्रभाव को देखते हुए आरती सिंह राव को कैबिनेट में जगह दी गई है। हरियाणा में भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता तक पहुंचाने में इस बेल्ट का अहम रोल रहा है। इस बार अहीरवाल की 11 सीटों में से दस सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की।
- राजेश नागर - गुर्जर कोटे से कैबिनेट में जगह
फरीदाबाद जिला के तिगांव हलके से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। कांग्रेस के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार ललित नागर को 37 हजार 401 मतों से चुनाव हराया है। पार्टी हाईकमान ने उन्हें गुर्जर कोटे से नायब कैबिनेट में जगह दी है। पहली बार उन्होंने 2019 में भाजपा टिकट पर ही तिगांव से जीत हासिल की थी। फरीदाबाद के कुछ स्थानीय नेता उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने के खिलाफ थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जातिगत व क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उनकी एडजस्टमेंट की है।
- गौरव गौतम- ब्राह्मण कोटे से कैबिनेट में लिया
पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। पलवल से कांग्रेस के हेवीवेट नेता करण सिंह दलाल को 33 हजार 605 मतों के अंतर से चुनाव हराया है। भाजपा ने अपने सिटिंग विधायक दीपक मंगला की टिकट काटकर गौरव गौतम को प्रत्याशी बनाया था। गौरव गौतम की टिकट भी पार्टी नेतृत्व के स्तर पर फाइनल की गई। भाजपा के हरियाणा मामलों के प्रभारी रह चुके अनिल जैन के करीबियों में गौरव गौतम की गिनती होती है। भाजपा ने पलवल जिले के प्रतिनिधित्व के तहत ब्राह्मण कोटे ने उन्हें कैबिनेट में लिया है।
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