31अक्टूबर पर विशेष
आज़ादी मिलने के बाद देश को एक बड़े राष्ट्र का स्वरुप प्रदान करने में जिन दो महान शख्सियत का हाथ रहा है, उनमें लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल और आयरन लेडी इंदिरा गांधी का नाम हमेशा याद किया जाएगा। सरदार पटेल ने तो देश में तकरीबन 565 स्वतंत्र रियासतों को अपने कुशल नेतृत्व और साहसी सूझबूझ से भारत देश में शामिल किया। जिससे देश में एकता के तार बहुत मजबूती के साथ इस तरह जोड़े कि उन रियासतों ने कभी भारत सरकार के ख़िलाफ़ कभी कोई अफ़सोस जाहिर नहीं किया बल्कि विशाल भारत के साथ पूर्ण सामंजस्य बनाए रखा। कहीं जनमत संग्रह तो कहीं युद्ध का सहारा भी लेना पड़ा। जहां जैसी परिस्थिति रही उसमें वैसे फार्मूले का इस्तेमाल किया है।जिसे लेकर आज भी कभी-कभी विवादास्पद बातें सामने आती है। मसलन जम्मू-कश्मीर में जनमत-संग्रह ना कराना अब तक सवालों के घेरे में आता रहता है। जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों के लिए फौज का सहारा लिया गया।
वहीं दूसरी इंदिरा गांधी ने भारत पाक विवाद को यूएन से वापस लेने पाकिस्तान को मज़बूर किया। पड़ोसी देश अब परस्पर मिल बैठकर अपने सवालात हल कर लेते हैं। किसी अन्य देश के दबाव से इस तरह दोनों देश बच गए। यह इंदिरा गांधी की दूरन्देशी राजनीति थी। बांग्लादेश निर्माण के दौरान मुजीबुर्रहमान की मुक्ति वाहिनी को मदद कर पूर्व पाकिस्तान का सफ़ाया कर नया देश बांग्लादेश बनाया। जिससे भारत का पूर्वी क्षेत्र सुरक्षित हो गया। इतना ही नहीं उत्तर पूर्व स्थित सिक्किम देश जिसे चीन दबोचने की कोशिश लगातार करने में लगा था, उसे उन्होंने अपने कौशल और साहसिक अभियान से देश का एक राज्य बनाया उसे संपूर्ण संवैधानिक अधिकार देकर ना केवल सिक्किम को ड्रेगन के ग्रास होने से बचाया बल्कि उसे पूरा संरक्षण भी प्रदान किया। इससे चीन के हौसले पस्त पड़ गए। हमारी सीमा सुरक्षित हुई। आपको यह याद रखना चाहिए कि जब कश्मीर रियासत भारत में विलीन की गई थी, तब वहां प्रधानमंत्री होते थे और वहां कश्मीर का ध्वज तिरंगे के साथ फहराता था। इंदिरा जी ने ही कश्मीर से विश्वासपूर्वक प्रधानमंत्री की जगह मुख्यमंत्री बनाया। एक देश की पहचान लिए कश्मीर रियासत इंदिरा गांधी के प्रयासों से ही जम्मू-कश्मीर राज्य में परिणित हुई।
संयोग कुछ ऐसा है कि 31अक्टूबर सरदार पटेल की जन्म जयंती है तो इसी तिथि को इंदिरा जी की पुण्यतिथि भी है। ये दो फौलादी व्यक्तित्व आज़ाद भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण किरदार हैं। जिन्होंने प्रतिबद्ध होकर संपूर्ण दृढ़ता के साथ ऐसा कुछ कर दिखाया, जिसने हिंदुस्तान के भूगोल में विस्तार किया।यह भारत की सत्य और अहिंसा की जीत के रुप में दर्ज रहेगी।
आज जब चीन द्वारा हमारे सियाचिन गलियारे और लद्दाख में पेंगाग झील इलाके में बस्तियां बसाने, सड़क, पुल आदि का निर्माण करने के चित्र देखते हैं तो ख़ून खौल उठता है। नागालैंड को उनका झंडा फहराने और पासपोर्ट देने की बात भी आम भारतीय को दुख पहुंचाती है। कश्मीर से पूर्ण राज्य का दर्जा छीनकर उसे केन्द्र शासित राज्य बनाकर कश्मीर के वजूद को ख़त्म करने की कोशिश भी निंदनीय है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर जिस हालात में है, वह त्रासद है। ऐसी स्थिति में म्यांमार का दख़ल वहां बढ़ रहा है, जिससे मणिपुर सुरक्षित नहीं।
कुल मिलाकर आज सरदार पटेल और इंदिरा जी बहुत याद आती हैं जिन्होंने देश की अखंडता संप्रभुता की सुरक्षा और विस्तार, बिना विस्तारवादी नीति को प्रशय दिए देश को स्थायित्व दिया। दोनों का अवदान हिंदुस्तान कभी विस्मृत नहीं कर पाएगा। ऐसे फौलादी, देश के इन महामानवों को देशवासियों का शत् शत् नमन।
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