लेखक - सुसंस्कृति परिहार |
राम जन्मभूमि विवाद कथित तौर पर सुलझने के बाद विशालकाय मंदिर की स्थापना से तुष्ट होने की बजाए हिंदूवादी उग्र जमात मथुरा काशी को विवादग्रस्त बनाने पर सतत तुली ही है। अदालत भी झट से बिना झिझके सर्वे का आदेश देकर जिस तरह उन्हें निरंतर उग्र बनाने पर तुला है। इससे ये कथित उग्रवादी नए नए स्थलों की खोज में लगे हैं। उनमें से ताज़ा मामला संभल उत्तर प्रदेश से सामने आया है।
बताया जा रहा है कि संभल जिले के संभल नगर में 24 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर सुबह जामा मस्जिद का टीम सर्वे करने पहुंचीं। इसके बाद बवाल हो गया और लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। प्रदेश सरकार के इशारे पर मुरादाबाद कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह और संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने इस हिंसा को शांति भंग करने की साजिश करार दिया।
संभल एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई, जिनकी शिनाख्त बिलाल, नईम और कैफ के रुप में हुई है. उन्होंने कहा, "उपद्रवियों की मौत आपसी फायरिंग में हुई है।"
दरअसल, कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी महाराज ने दावा किया है कि संभल की जामा मस्जिद कथित तौर पर हरिहर मंदिर है। ऋषिराज गिरी महाराज ने इसको लेकर बीते दिनों सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे कराने की मांग की थी। इस याचिका पर कोर्ट ने सात दिनों के भीतर सर्वे रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
इसी कड़ी में कोर्ट के आदेश पर रविवार को सुबह में सर्वे के लिए टीम जामा मस्जिद पहुंची। सर्वे टीम को देखकर लोगों की भीड़ मौके पर इकट्ठा होने लगी. अधिकारियों के मुताबिक, सर्वे का काम ठीक ढंग से चल रहा था। इसी दौरान मस्जिद के बाहर पहुंची भीड़ ने अचानक पथराव कर दिया। जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई।
संभल जिले में हिंसा मामले में दो थानों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। सांसद के अलावा स्थानीय सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे पर भी मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों पर ही दंगाइयों को भड़काने का आरोप लगा है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है।अब तक 25 लोग गिरफ्तार हुए हैं जिनमें दो महिलाएं भी हैं।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, "मैं यूपी सरकार से यह भी कहना चाहूंगी कि कल यूपी में हुए उपचुनाव के अप्रत्याशित नतीजों के बाद पूरे मुरादाबाद मंडल में, खासकर संभल जिले में काफी तनाव था। ऐसे में सरकार और प्रशासन को संभल में मस्जिद-मंदिर विवाद का सर्वे करने का काम आगे बढ़ाना चाहिए था। यह काफी बेहतर होता, लेकिन ऐसा न करके आज सर्वे के दौरान जो भी हंगामा और हिंसा हुई, उसके लिए यूपी सरकार और प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार है।
उत्तर प्रदेश के मंत्री नितिन अग्रवाल ने संभल हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार किसी भी हिंसा का कड़ा जवाब देगी। उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब उनसे पूछा गया कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने पुलिस के बारे में बयान दिया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिस अवैध तमंचे का इस्तेमाल करती है। नितिन अग्रवाल ने कहा, “हम उस सिद्धांत पर नहीं चलेंगे कि अगर हमें एक थप्पड़ मारा जाए, तो हम दूसरा गाल आगे कर देंगे। अगर कोई हमें थप्पड़ मारेगा तो हम भी उसे पांच तमाचे मारेंगे। जिस भाषा में तुम बोलोगे, उस भाषा में हमारी सरकार जवाब देगी।”
सोचने की बात ये है यूपी सरकार का मंत्री खुलेआम संविधान से इतर इस तरह का बयान दे रहा हो, पुलिस फायरिंग से मौत से इंकार कर रही हो। समाजवादी पार्टी के नेताओं को योजना का सूत्रधार मानकर गिरफ्तारी हो रही हो। रासुका के अंदर गिरफ्तारी की बात कर रही हो तो उसके मंसूबे साफ़ नज़र आते हैं।
ये संभावित है नाराज लोगों ने पत्थर बरसाने की तैयारी की हो किंतु मुस्लिम समाज के ज़ख्म को हरा कर उकसाने वाली सरकार इसके लिए जिम्मेदार है। वह नहीं चाहती हिंदू मुस्लिम मेल से रहें। उनके बीच गहरी खाई खोदने से क्षुब्ध होकर पत्थरबाजी करना मुस्लिम समाज की पीड़ा को दर्शाता है। उस पर मरहम लगाने की जगह गोलियों से पांच लोगों की जान ले लेना सरासर अन्याय है। पत्थरबाजी में घायल पुलिस अधिकारी लगता है तैयारी से नहीं आए वरना इतने घायल नहीं होते।
कश्मीरी पत्थरबाजी का धीरे धीरे विस्तार सरकार की ग़लत रीति नीति से उपजा संकट है। इस बहाने हज़ारों लोगों को प्रताड़ित करने का उन्हें मौका मिलता है। बुल्डोजर नहीं तो अब इसी तरह की बल्कि इससे बढ़कर कष्ट सहने वे सब तैयार हो जाएं, जो सरकार और महंतों की आज्ञा पालन में कोताही बरतेंगे। संभल यह संदेश देने वाला है खबरदार मुस्लिम सावधान रहें। पत्थर और आवाज़ उठाना मंहगा पड़ सकता है। लगभग सभी मस्जिदों की खुदाई का भविष्य में ऐलान हो सकता है। हिंदुओं के दिल दिमाग में यह बात फैलाने कई संतों महंतों की पदयात्रा निकलनी शुरू हो गई हैं। देखेंगे न्याय व्यवस्था कितना साथ देती है या कि राम मंदिर भूमि विवाद की तरह ही बहुसंख्यक समुदाय के साथ खड़ी होती है?
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