जबलपुर : नायक से खलनायक बने अभिनेता प्रेम नाथ

पुण्यतिथि 3 नवंबर के अवसर पर 

मुंबई। हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास में प्रेम नाथ का नाम एक ऐसे अभिनेता के रूप में दर्ज है, जिन्होंने न केवल बतौर नायक अपनी छाप छोड़ी, बल्कि खलनायक के किरदार को भी नया आयाम देकर दर्शकों के दिलों में अपनी अमिट पहचान बनाई। अपनी प्रतिभा, साहस और अनोखे अभिनय शैली के कारण प्रेम नाथ ने बॉलीवुड में एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जो बहुत कम अभिनेताओं को नसीब होता है। उनके अभिनय की यात्रा नायक से खलनायक बनने की थी, लेकिन दोनों ही भूमिकाओं में वे दर्शकों को गहराई से प्रभावित करने में कामयाब रहे। उनकी पुण्यतिथि पर, हम उनके अभिनय सफर और उन अनमोल योगदानों का स्मरण करते हैं, जो उन्होंने हिंदी सिनेमा को दिए।
  • शुरुआती जीवन और अभिनय का सपना
प्रेम नाथ का जन्म 21 नवंबर 1926 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। यह वो दौर था जब भारतीय उपमहाद्वीप में सिनेमा का क्रेज अपने शुरुआती चरण में था, लेकिन प्रेम नाथ का झुकाव बचपन से ही अभिनय की ओर था। 1947 में देश के विभाजन के बाद उनका परिवार पेशावर से मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में आ गया। वहीं उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई और यहीं से उनके अभिनय का सपना धीरे-धीरे आकार लेने लगा। 

प्रेम नाथ का हौसला और मेहनत उन्हें मुंबई ले आई, जहाँ उनके सपनों को पंख मिले। अपनी शुरुआती फिल्मों में ही उन्होंने अपनी छाप छोड़ी, और कुछ ही समय में वे उस दौर के चर्चित नायकों में शामिल हो गए। प्रेम नाथ की दिलचस्पी मात्र रोमांटिक हीरो बनने में नहीं थी; वे अपने किरदार में गहराई और अलग पहचान चाहते थे। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें नायिकाओं के साथ पेड़ों के इर्द-गिर्द गाने गाना नहीं भाया। एक नई दिशा की तलाश में उन्होंने खलनायकी को अपनाने का फैसला लिया। 
  • नायक से खलनायक तक का सफर
पचास और साठ के दशक में प्रेम नाथ कई फिल्मों में नायक की भूमिका में नजर आए, जिनमें "आग" और "बरसात" जैसी फिल्में शामिल थीं। ये फिल्में सफल रहीं और प्रेम नाथ को एक मजबूत अभिनेता के रूप में स्थापित किया। लेकिन उनकी असली पहचान तब बनी जब उन्होंने नायक की सीमाओं से बाहर निकलकर खलनायक का किरदार निभाने का निर्णय लिया। प्रेम नाथ ने खलनायकी को एक नई ऊँचाई दी और उस समय के दर्शकों को यह महसूस कराया कि खलनायक भी दर्शकों को लुभा सकते हैं। उनके खलनायक के किरदार में गहराई, इमोशन और एक खास करिश्मा था, जो उन्हें अन्य अभिनेताओं से अलग बनाता था।
  • 'जॉनी मेरा नाम' में यादगार अभिनय
1970 में प्रदर्शित फिल्म *जॉनी मेरा नाम* प्रेम नाथ के करियर का एक अहम मोड़ साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने खलनायक का किरदार निभाया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। उनका यह किरदार दर्शकों को बहुत पसंद आया और उन्होंने साबित किया कि खलनायकी भी दर्शकों का दिल जीत सकती है। प्रेम नाथ ने न केवल अपने अभिनय को बल्कि खलनायक के किरदार को भी एक गहरी और मानवीय भावना से जोड़ा। इस फिल्म के बाद उन्हें इंडस्ट्री में एक ऐसे अभिनेता के रूप में देखा जाने लगा, जो किसी भी किरदार को जी सकता है, चाहे वो नायक हो या खलनायक। 
  • 'धर्मात्मा' का अंडरवर्ल्ड डॉन: एक बेमिसाल किरदार
वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म *धर्मात्मा* प्रेम नाथ के खलनायकी करियर का एक और महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। यह फिल्म हॉलीवुड की मशहूर फिल्म *गॉडफादर* से प्रेरित थी। इसमें प्रेम नाथ ने "धरमदास धर्मात्मा" नामक अंडरवर्ल्ड डॉन का किरदार निभाया, जिसने भारतीय सिनेमा में माफिया किरदारों के लिए एक नई मिसाल कायम की। उनके इस दमदार प्रदर्शन ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया और उनकी गहरी आवाज और व्यक्तित्व ने इस किरदार को एक अविस्मरणीय बना दिया। इसके बाद अंडरवर्ल्ड पर कई अन्य फिल्में बनीं, लेकिन "धर्मात्मा" और धरमदास धर्मात्मा का जादू दर्शकों के दिलों में आज भी कायम है। 
  • 'बॉबी' में पिता का किरदार और परिवर्तन की पहल
1973 में प्रदर्शित राज कपूर की फिल्म *बॉबी* में प्रेम नाथ ने एक अनोखा किरदार निभाया। यह किरदार था रिचा (डिंपल कपाड़िया) के पिता का, जो अपने रवैये और अपनी सोच में सख्त होता है। प्रेम नाथ के इस किरदार में एक विशेष गहराई और संवेदनशीलता थी। यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई और प्रेम नाथ को उनके दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। *बॉबी* के बाद प्रेम नाथ ने खुद को चरित्र अभिनेता के रूप में स्थापित किया और उन्होंने इस छवि को बखूबी निभाया।
  • अनोखी शैली और संवाद अदायगी
प्रेम नाथ का संवाद अदायगी का तरीका और उनका व्यक्तित्व दोनों ही उन्हें अन्य अभिनेताओं से अलग बनाते थे। उनकी गहरी आवाज, चेहरे पर कड़क भाव और विशेष शैली ने उनके खलनायकी किरदारों में एक नई जान फूंकी। जब वे स्क्रीन पर आते थे, तो उनकी मौजूदगी ही किरदार को जीवंत बना देती थी। प्रेम नाथ ने अपने किरदारों को न सिर्फ निभाया, बल्कि उसमें एक गहराई और अर्थ भी जोड़े। उनका हर संवाद दर्शकों पर एक गहरी छाप छोड़ता था। 
  • प्रेम नाथ का योगदान और विरासत
प्रेम नाथ ने बॉलीवुड में अपने अभिनय और योगदान से एक अनमोल धरोहर सृजित की। उनकी फिल्में और उनके किरदार आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। उन्होंने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि यह भी सिखाया कि खलनायकी में भी एक नायकत्व होता है। उनका जीवन सिनेमा के प्रति उनकी ईमानदारी, समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि एक सच्चा कलाकार नायक और खलनायक दोनों को समान प्रभावशाली तरीके से निभा सकता है।

उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी उनके योगदान को याद कर सकते हैं और उनकी प्रेरणादायक यात्रा से सीख सकते हैं कि सिनेमा में नायक और खलनायक की परिभाषा को प्रेम नाथ जैसे महान अभिनेता ने कैसे नए आयाम दिए।


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