नई दिल्ली। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक ऐतिहासिक बयान देते हुए कहा कि दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्गों को समान अवसर और अधिकार प्रदान करने के लिए उनकी सहभागिता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इस दिशा में जाति आधारित जनगणना कराना अपरिहार्य कदम है।
रामलीला मैदान में आयोजित एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए श्री खरगे ने कहा, “देश में गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे लगातार गहराते जा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन ज्वलंत समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। इस रैली में संविधान की रक्षा, आरक्षण की सीमा में वृद्धि और जाति जनगणना की मांग को लेकर देश के कोने-कोने से आए हुए आप सभी साथियों का मैं अभिनंदन करता हूं। हमें एकजुट होकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष करना होगा।”
श्री खरगे ने रैली में जोर देकर कहा कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में यह लड़ाई केवल राजनीतिक मंच तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक हर समुदाय को समुचित भागीदारी नहीं मिलती, तब तक देश की प्रगति अधूरी है। जाति जनगणना से न केवल वंचित तबकों की सही तस्वीर सामने आएगी, बल्कि इससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सटीक नीतियां बनाई जा सकेंगी।
जनसभा में जुटे विशाल जनसमूह ने श्री खरगे के इस आह्वान को जोरदार समर्थन दिया। इस अवसर पर संविधान की रक्षा और आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग के साथ-साथ सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ करने का संकल्प भी लिया गया।
“संविधान बचाना हमारा पहला कर्तव्य है,” उन्होंने कहा, “यह केवल एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक के अधिकारों और सम्मान का प्रतीक है। अगर हम इसे नहीं बचाते, तो वंचितों और पिछड़ों के लिए न्याय की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी।”
रैली ने जाति जनगणना की मांग को एक आंदोलनात्मक स्वरूप दिया और यह स्पष्ट संदेश दिया कि सामाजिक न्याय को केंद्र में रखे बिना विकास की कल्पना अधूरी है।
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