राजनीति: एक हैं तो सेफ हैं की रणनीति पर चले इंडिया गठबंधन लेखक - सुसंस्कृति परिहार


लेखक - सुसंस्कृति परिहार 

ये बात यकीनन सच है कि कांग्रेस पार्टी विभिन्न चुनावों के दौरान अपना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है किंतु इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है, उसके लिए सिर्फ ईवीएम जिम्मेदार है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि कांग्रेस पनपे।
यदि गठबंधन के साथी सूत ना कपास जुलाहों में लठ्ठम लठ्ठा अभी से करने लगेंगे तो इससे भाजपा का पथ आसान होगा। एक हैं तो सेफ हैं की रणनीति इंडिया गठबंधन को अपनानी चाहिए। सारे मनोमालिन्य भूलकर ही  देश से फासिस्टवादी पार्टी भाजपा को हटाने संकल्पबद्ध होना पड़ेगा।

जहां तक सवाल ममता बैनर्जी का है। वे भले बंगाल पर एकाधिकार रखती हों किंतु उनकी पार्टी और तथाकथित उनको समर्थन देने वाली पार्टियों का वजूद सिर्फ एक राज्य तक सीमित है। उनकी संपूर्ण देश में पहचान भी नहीं है। कुछ भी हो विपक्ष के नेता राहुल गांधी का होल्ड पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा से हुआ है। उनकी पहचान गांधी नेहरू खानदान से कम उनके अपने कार्यकलापों से ज़्यादा हुई है। उनका व्यक्तित्व भाजपा के तानाशाह रवैए के विरोध से निर्मित हुआ। इसकी तुलना में ममता कमजोर नज़र आती हैं। दूसरे उनकी पार्टी तृणमूल के तेवर इतने तीखे होते हैं कि कभी कभी संसद की गरिमा आहत होती है जबकि राहुल गांधी का विरोध गंभीर और सहज होता है। आज ऐसे प्रतिपक्ष नेता की ज़रूरत है जो आ बैल मुझे मार की भाषा से दूर हो।

अहम् बात यह भी है ममता भाजपा सरकार से जुड़ कर मंत्री भी रह चुकी हैं इसलिए उन पर विश्वास करना भी भूल हो सकती है। कब कौन किस पाले में बैठ जाएं कहां नहीं जा सकता।इस लिहाज़ से राहुल उचित नज़र आते हैं।

राहुल गांधी में जो खामियां हो उसे मिल-बैठकर बताया और सुलझाया जा सकता है। तुनकमिजाज होकर रूठना ग़लत होगा। राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं यह ख़्याल गलत है। उनका लक्ष्य संविधान बचाने और देश में एका लाना है। उन्होंने जिस तरह इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने के प्रयास किए वे सराहनीय हैं। पहले ममता जी संसद में इंडिया गठबंधन सहमत से पहुंच जाए फिर नेतृत्व की बात जायज़ होगी। जीत के बाद कोई भी प्रधानमंत्री बन जाए उसे देश की अवाम हमेशा की तरह अब स्वीकार कर लेगी अब तक के तमाम प्रधानमंत्रियों को उसने सिर आंखों में बिठाया है। धैर्य रखिए।

इसलिए गठबंधन के समस्त दलों को एका रखते हुए प्रयास करने होंगे तभी  वे सफल होंगे। ये टकराव हमें आगत चुनाव में मात दिलाने वाले साबित हो सकते हैं क्योंकि  भाजपा ऐसे अवसरों का अक्सर भरपूर लाभ तिल का ताड़ बनाकर लेती रही है। फ़िर उनके भोंपू भी। इसलिए सावधान रहे इंडिया गठबंधन।

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