जबलपुर। जबलपुर की माटी में जन्मे, मॉडल हाई स्कूल के मेधावी छात्र और हिंदी पत्रकारिता में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा का निधन पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के तीनों आयामों में काशीनाथ जी ने अपने कार्यों से पत्रकारिता को एक नई दिशा दी। उनकी ईमानदारी, दबंगता और सत्य के प्रति अडिगता ने उन्हें एक अलग पहचान दी।
काशीनाथ जी सहज, सरल और मृदुभाषी थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व में साहस और सत्य का अद्भुत संगम था। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी – "जो सही है, वही बोलना।" चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली हो, काशीनाथ जी हमेशा सत्य को उजागर करने में पीछे नहीं हटे।
- जबलपुर से भोपाल तक पत्रकारिता की दुनिया में काशीनाथ की छाप
काशीनाथ जी ने जबलपुर से भोपाल तक पत्रकारिता की दुनिया में जो छाप छोड़ी, वह आज भी प्रेरणा देती है। वे समाजवादी और गांधीवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। छात्र राजनीति के दौर में शरद यादव जैसे नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर छात्र हितों के लिए संघर्ष करते रहे। गांधी जी के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए उन्होंने "मैं भी गांधी" नामक आंदोलन चलाया, जो उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
- वे हर पीढ़ी के प्रिय थे काशीनाथ
उनका पहनावा, जीवनशैली और स्पष्टवादिता उन्हें पत्रकारों के बीच लोकप्रिय बनाती थी। वे हर पीढ़ी के प्रिय थे। अपनी सहजता से वे हर मिलने वाले को अपना बना लेते थे। हालांकि उनकी बेबाकी को कई लोग समझ नहीं पाते थे, लेकिन उनका सत्य बोलने का साहस सभी को प्रेरित करता था। काशीनाथ शर्मा का निधन न केवल उनके परिवार और मित्रों के लिए, बल्कि हिंदी पत्रकारिता जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने अपनी ईमानदारी और साहस से एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया। काशीनाथ जी की स्मृतियां हमेशा हमारे साथ रहेंगी। उनका जीवन और उनकी पत्रकारिता, सत्य और साहस की मिसाल बने रहेंगे।
- हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
- "काशीनाथ जी, आप हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।"
- संजीव चौधरी, जबलपुर
إرسال تعليق