मरीज की मौत पर मानव अधिकार आयोग का कड़ा रुख, प्रतिवेदन तलब


जबलपुर। सुभाष चंद्र बोस शासकीय मेडिकल कॉलेज में हाल ही में सामने आए एक मामले ने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नरसिंहपुर जिले के करेली क्षेत्र के ग्राम गढ़ाई निवासी एक व्यक्ति, जिसे गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल से जबलपुर के मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, उसकी दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने चिकित्सा सेवाओं की लापरवाही को उजागर कर दिया है।

पीड़ित के 16 वर्षीय बेटे ने अपने पिता की जान बचाने के लिए खून की तलाश में हर संभव प्रयास किया। अस्पताल के भीतर और बाहर, वह निरंतर रक्त की व्यवस्था के लिए भटकता रहा, लेकिन अंततः रक्त उपलब्ध नहीं हो सका। इस असंवेदनशील स्थिति के कारण मरीज ने दम तोड़ दिया।

इस घटना पर मप्र मानव अधिकार आयोग की मुख्य पीठ, भोपाल ने सख्त रुख अपनाते हुए इसे मानवाधिकार हनन का गंभीर मामला माना है। क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी फरजाना मिर्जा के अनुसार, समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी की अध्यक्षता वाली एकलपीठ ने चिकित्सा सेवाओं और चिकित्सा शिक्षा संचालनालय, भोपाल को निर्देशित किया है कि इस मामले की गहराई से जांच कर एक माह के भीतर तथ्यात्मक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए।

यह घटना न केवल चिकित्सा सेवाओं की खामियों को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि समय पर उपचार और रक्त की अनुपलब्धता के कारण कितने परिवार अपनी जिंदगियों में अपूरणीय क्षति का सामना करते हैं। मानव अधिकार आयोग के इस हस्तक्षेप से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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