लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर कार्यशाला आयोजित
जबलपुर। जबलपुर पुलिस और जनसाहस सोशल डेवलपमेंट सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में पुलिस कंट्रोल रूम, जबलपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पॉक्सो एक्ट) और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता जैसे संवेदनशील विषयों पर केंद्रित थी।
कार्यशाला का शुभारंभ एसपी सम्पत उपाध्याय ने एएसपी ग्रामीण सूर्यकांत शर्मा और एएसपी सोनाली दुबे की उपस्थिति में किया। इस अवसर पर डीएसपी आकांक्षा उपाध्याय, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष मनीष व्यास, डीपीओ अजय जैन, एडीओपी मनीषा दुबे, और जनसाहस की प्रतिनिधि मुमुक्षा जोशी समेत कई अन्य विशिष्ट जन उपस्थित रहे। कार्यशाला में ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क की प्रभारी, बाल कल्याण अधिकारी, महिला सुरक्षा शाखा के सदस्य, और जिले के विभिन्न थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- अपराध अनुसंधान और विधिक प्रावधानों पर विश्लेषणात्मक चर्चा
कार्यशाला के दौरान, एसपी सम्पत उपाध्याय ने भारतीय न्याय संहिता 2023 और महिला एवं बाल अपराधों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इन अपराधों की रोकथाम और उनसे निपटने के तरीके पर प्रकाश डाला।
डीपीओ अजय जैन और एडीओपी मनीषा दुबे ने महिला अपराधों की प्रथम सूचना रिपोर्ट के लेखन में होने वाली सामान्य त्रुटियों, समुचित धाराओं के समावेश और अनुसंधान प्रक्रिया में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने दोषमुक्ति के संभावित कारणों और अनुसंधान में सुधार की संभावनाओं पर भी जोर दिया।
डीएसपी आकांक्षा उपाध्याय ने पॉक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत विवेचना से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान के बारे में अपने अनुभव साझा किए। वहीं, जनसाहस की टीम ने मानसिक स्वास्थ्य और न्यायिक प्रक्रियाओं पर प्रजेंटेशन दिया, जो सहभागियों के लिए बेहद ज्ञानवर्धक रहा।
- संवेदनशीलता और व्यवहार पर प्रशिक्षण
एएसपी सूर्यकांत शर्मा ने महिला अपराधों की पीड़िताओं और गवाहों के साथ अनुसंधान के दौरान संवेदनशीलता और व्यावहारिकता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने सभी थानों के विवेचकों को प्रशिक्षित करते हुए, इस विषय में सुधार लाने के उपाय सुझाए।
- कार्यशाला का समापन और सम्मान समारोह
कार्यशाला के समापन पर जनसाहस की टीम को उनकी उत्कृष्ट भूमिका और प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया। सभी सदस्यों को शील्ड प्रदान की गई। यह कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धन का एक सशक्त मंच बना, बल्कि सहभागियों के दृष्टिकोण को संवेदनशील और सशक्त बनाने का महत्वपूर्ण माध्यम भी सिद्ध हुआ।
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