काशीनाथ शर्मा |
जबलपुर। शहर के पत्रकारिता जगत और सामाजिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहे वरिष्ठ पत्रकार काशीनाथ शर्मा, जिन्हें लोग स्नेह से "गुरु," "दादा," और "महाराज" कहकर संबोधित करते थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार शाम को उनके असामयिक निधन ने शहर के पत्रकारिता और सामाजिक जगत को गहरे शोक में डाल दिया।
सादगी, कर्मठता और निष्पक्ष लेखनी के प्रतीक काशी दादा ने सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियों में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ठेठ जबलपुरिया अंदाज और मिलनसार स्वभाव के धनी काशी दादा के जाने से शहर में शोक की लहर दौड़ गई। रविवार को अचानक स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण परिजन उन्हें नागपुर ले जा रहे थे, लेकिन बरगी के पास उन्होंने अंतिम सांस ली।
काशी दादा ने अपने जीवन में छात्र राजनीति से लेकर मुख्यधारा की राजनीति और पत्रकारिता तक हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। वे प्रदेश और देश के प्रतिष्ठित समाचार चैनलों और अखबारों से जुड़े रहे। उनकी लेखनी की बेबाकी और निष्पक्षता ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई।
उनके असमय निधन पर शहर के जनप्रतिनिधि, पत्रकार, और सामाजिक संगठनों ने गहरा दुख प्रकट किया है। उनके जाने से पत्रकारिता और समाज के बीच से एक ऐसा व्यक्तित्व चला गया, जो न केवल एक मार्गदर्शक था बल्कि एक प्रेरणा भी रहा।
वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र और एक पुत्री सहित असंख्य शुभचिंतक और प्रशंसक छोड़ गए हैं। उनके योगदान और विचार सदैव याद किए जाएंगे।
- काशी दादा का जीवन और योगदान
काशीनाथ शर्मा का जीवन संघर्ष, सादगी और समाज सेवा का पर्याय था। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका सफर न केवल जबलपुर बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक रहा। उन्होंने पत्रकारिता को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि समाज सुधार और जनजागरण का माध्यम बनाया।
उनकी लेखनी में एक विशेष ताकत थी, जो समाज की सच्चाई को बेबाकी से सामने रखती थी। उनके द्वारा उठाए गए सामाजिक मुद्दे, प्रशासन और सत्ता के गलियारों में गूंजते थे। वे न केवल खबरों को कवर करते थे, बल्कि उन्हें एक ऐसे दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते थे, जिससे समाज को समाधान भी मिलता था।
काशी दादा की शैली और भाषा का ठेठ जबलपुरिया अंदाज उन्हें आम लोगों के करीब ले जाता था। वे जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच एक ऐसा पुल थे, जो जनता की समस्याओं को प्रभावी ढंग से सामने रखते थे। उनकी मित्रता और सहयोग का दायरा बेहद व्यापक था।
- शहर के लिए अपूरणीय क्षति
उनके निधन से केवल पत्रकारिता जगत ही नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने भी अपना एक सच्चा मार्गदर्शक खो दिया है। उनके जाने से उनके जानने वालों के बीच एक ऐसा खालीपन आ गया है, जिसे भर पाना संभव नहीं है।
- आखिरी विदाई और श्रद्धांजलि
काशी दादा की अंतिम यात्रा में शहर भर से लोग शामिल हुए, जिसमें जनप्रतिनिधि, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिकों का हुजूम उमड़ पड़ा। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान उनके प्रति सम्मान और प्रेम साफ झलक रहा था।
परिवार के प्रति संवेदनाएं और उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए, समाज के सभी वर्गों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद करते हुए कई प्रमुख हस्तियों ने उनके योगदान को अमूल्य बताया।
- स्मृतियों में अमर रहेंगे काशी दादा
पंडित काशीनाथ शर्मा का जीवन और उनका योगदान हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगा। उन्होंने अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों को पत्रकारिता और समाजसेवा के उच्च मानदंड सिखाएगी। उनकी लेखनी, उनकी सादगी और उनकी दृष्टि सभी के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
काशी दादा के प्रति यह श्रद्धांजलि उनके जीवन के उन अनगिनत अध्यायों की कहानी कहती है, जो आने वाले समय में भी लोगों को राह दिखाएंगे। उनका निधन निश्चित रूप से एक युग का अंत है, लेकिन उनकी स्मृतियां और आदर्श सदैव जीवित रहेंगे।
“नमन और श्रद्धांजलि – काशी दादा, आप हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेंगे।”
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