नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की अधिकतम सीमा 1200 से बढ़ाकर 1500 किए जाने के निर्वाचन आयोग के निर्णय पर सोमवार को स्पष्टीकरण मांगा।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर इंदु प्रकाश सिंह द्वारा दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग का पक्ष प्रस्तुत कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे।
पीठ ने सवाल किया कि यदि किसी मतदान केंद्र पर 1500 से अधिक मतदाता उपस्थित हो जाते हैं, तो ऐसी परिस्थिति में आयोग की रणनीति क्या होगी। इसके जवाब में श्री सिंह ने कहा कि ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी राजनीतिक दलों से व्यापक परामर्श किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने यह भी प्रश्न किया कि जब एक मतदान केंद्र के परिसर में अनेक मतदान बूथ हो सकते हैं, तो क्या यह नीति एकल बूथ पर भी लागू होगी। इन सभी बिंदुओं पर स्पष्टता के लिए शीर्ष न्यायालय ने चुनाव आयोग को एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जनवरी 2025 की तारीख तय की।
याचिकाकर्ता के तर्क
इससे पहले, 27 अक्टूबर को याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने यह तर्क रखा था कि मतदाताओं की संख्या 1200 से 1500 तक बढ़ाने का निर्णय हाशिए पर खड़े समुदायों को मतदान प्रक्रिया से दूर कर सकता है। उन्होंने बताया कि अधिक मतदाताओं के कारण मतदान केंद्रों पर कतारें लंबी होंगी, जिससे लोगों को अधिक समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, और यह संभवतः कई मतदाताओं को वोट डालने से हतोत्साहित कर सकता है।
श्री सिंघवी ने इसे मनमाना कदम बताते हुए दावा किया कि यह निर्णय किसी ठोस आंकड़ों या तर्कसंगत अध्ययन पर आधारित नहीं है।
याचिका का मूल उद्देश्य
जनहित याचिका में चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने इसे मतदाता सुविधा और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताया है।
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