शेयर बाजार में भारी गिरावट से मचा हाहाकार, निवेशकों के डूबे 12.62 लाख करोड़ रुपये


मुंबई। वैश्विक बाजारों में गिरावट और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद खत्म होने के कारण भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी बिकवाली देखने को मिली। इस गिरावट से निवेशकों को भारी नुकसान झेलना पड़ा और उनकी 12.62 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति बाजार से साफ हो गई।

बीएसई सेंसेक्स 1,048.90 अंक यानी 1.36% की बड़ी गिरावट के साथ सात महीने के निचले स्तर 76,330.01 पर बंद हुआ। इसी तरह, एनएसई निफ्टी भी 345.55 अंक लुढ़ककर 23,085.95 पर बंद हुआ। यह गिरावट फरवरी 2024 के बाद सबसे बड़ी बताई जा रही है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत संकेत बने गिरावट की वजह

अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़ों ने वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में कटौती से पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। निवेशकों को उम्मीद थी कि फेड ब्याज दरों में जल्द कटौती करेगा, लेकिन ऐसा नहीं होने से वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा और यहां भी चौतरफा बिकवाली शुरू हो गई।

सात महीने के निचले स्तर पर सेंसेक्स और निफ्टी

बीएसई का सेंसेक्स सात महीने बाद पहली बार 77,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आ गया। वहीं, निफ्टी भी महत्वपूर्ण स्तर से नीचे लुढ़क गया। इससे पहले 11 जून 2024 को सेंसेक्स 76,456.59 पर बंद हुआ था।

बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट

बीएसई का कुल बाजार पूंजीकरण भी गिरावट के चलते घटकर 41.70 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। पिछले कारोबारी सत्र में यह 42.96 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों को कुल मिलाकर 12.62 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

किन सेक्टर्स पर पड़ा सबसे ज्यादा असर?

गिरावट का सबसे ज्यादा असर बैंकिंग, ऑटो, आईटी और मेटल सेक्टर पर पड़ा। बड़े शेयरों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों में भारी बिकवाली देखी गई।

विशेषज्ञों की राय

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि फेडरल रिजर्व की नीतियों पर अनिश्चितता के चलते आने वाले दिनों में भी बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

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