वरिष्ठ पत्रकार महेश महदेले नहीं रहे, देहदान कर जागरूकता की अलख जगाई


जबलपुर। शहर के वरिष्ठ पत्रकार और स्वतंत्र मत के सबसे अनुभवी संपादक महेश महदेले का सोमवार को निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गई। अपने जीवनकाल में समाज को नई दृष्टि देने वाले श्री महदेले जाते-जाते भी एक महत्वपूर्ण सीख देकर गए। उन्होंने मृत्यु से पहले अपनी देह मेडिकल छात्रों की शिक्षा के लिए दान करने की इच्छा जताई थी। उनकी इस अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर जबलपुर मेडिकल कॉलेज को सौंपा गया।

श्री महदेले ने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत जबलपुर के प्रतिष्ठित समाचार पत्र हितवाद और ज्ञानयुग प्रभात से की थी। उनके समकालीन पत्रकार बताते हैं कि महेश महदेले का संपादकीय दृष्टिकोण हमेशा अनोखा और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायक रहा। वे स्वतंत्र मत में लंबे समय तक कार्यरत रहे और वहां के सबसे वयोवृद्ध संपादक के रूप में जाने जाते थे। उनके संपादकीय लेखों की गहराई और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण ने पाठकों पर गहरी छाप छोड़ी।

उनके निधन पर स्वतंत्र मत परिवार, शहर के तमाम पत्रकारों और छायाकारों ने गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। सोमवार को मेडिकल कॉलेज में उनके देहदान के दौरान डॉ. एलएन अग्रवाल, स्वतंत्र मत के संपादक राजेंद्र मिश्रा, वरिष्ठ छायाकार अनिल तिवारी, विवेक यादव, राहुल पांडे, स्वप्निल पटेल, गजराज महदेले और सम्राट महदेले उपस्थित रहे।

महेश महदेले के निधन पर विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी दुख व्यक्त किया है। उनका कहना है कि महेश महदेले ने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा देने का काम किया और उनके देहदान के फैसले से उन्होंने एक बार फिर दूसरों को सीखने की प्रेरणा दी। उनका यह कदम समाज के लिए प्रेरणादायक रहेगा।

वरिष्ठ पत्रकार महेश महदेले के योगदान और उनकी सरल, विनम्र प्रकृति को शहरवासी लंबे समय तक याद रखेंगे। उनके द्वारा किया गया देहदान समाज में जागरूकता फैलाने का एक उदाहरण बनेगा।

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