लेखक - सुसंस्कृति परिहार |
एक कहावत है गुरु गुड़ ही रहा चेला शक्कर हो गया। यह कहावत गुरु मोदीजी और ट्म्प पर लागू होती है। चुनाव में अमेरिका की ज़मीन पर हाऊडी मोदी और कोरोना काल में भारत में नमस्ते ट्रम्प जैसे जलवे वाले कार्यक्रम कर ना केवल मोदी जी ने उन्हें अभिभूत किया बल्कि भारतवंशियों की वोट दिलाकर उनके बगलगीर बने। उन्होंने मोदी जी की धार्मिक आस्था और हिंदुत्व की एकजुटता से प्रेरणा लेकर अपने देश में श्वेत लोगों का शत-प्रतिशत वोट हासिल किया।
देखते ही देखते डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय मूल की कमला हैरिस को पछाड़ दिया और दोबारा राष्ट्रपति की शपथ ले ली। यह 132 साल बाद दोहराव की स्थिति बनी है। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन जिनकी पत्नी को मोदीजी ने हीरों का हार दिया। वह पहली वजह बनी ट्रम्प और मोदी में दुश्मनी की। शायद मोदी ने सोचा होगा ट्रम्प की वापसी अब संभव नहीं। लेकिन विश्वगुरु से ज्ञान लेकर आज उन्हें अंगूठा दिखा दिया।
अमरीका में पहली बार इतनी धूमधाम से -6 डिग्री में शपथ समारोह हुआ। कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री इसमें शामिल हुए। चीन के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया गया, वे नहीं गए। मोदी जी समारोह में जाने लालायित थे पर उन्हें भारी कवायद के बाद भी आमंत्रित नहीं किया गया। विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरान भारत का प्रतिनिधित्व किया।
वहां धार्मिक गुरुओं को नहीं बुलाया गया लेकिन विश्वविख्यात उद्योगपति बड़ी तादाद में जुटे। जिनमें भारत से अडानी नहीं, मुकेश अंबानी सपत्नीक शामिल हुए। स्वर्णिम अमरीका की दिशा में उठाया ये पहला कदम है। ठीक भारत के अच्छे दिन आएंगे की तरह। मेक इंडिया की जगह ट्रम्प ने मेक अमेरिका ग्रेन अमरीका नारा दिया।
सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने शपथ के तुरंत बाद जो घोषणाएं की हैं, उससे लगता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति भारत से ज़्यादा आगे बढ़कर बहुत बदलाव चाहते हैं। उन्होंने शपथ के सिर्फ 6 घंटे के अंदर बाईडेन के 78 फैसलों को पलट दिया। जो उनके तानाशाह रवैए का घो तक है। नस्ली भेदभाव, अर्थ-व्यवस्था उन्नत करने बाहरी माल पर टैक्स बढ़ाने के साथ अमेरिकी निर्यात भी मंहगा होगा। प्रवासियों के लिए सख्त कानून होगा तथा अवैध रूप से प्रवेश करने वालों को अब बख़्शा नहीं जाएगा। भारत को इस तरह मंहगे सामान खरीदने होंगे तथा अपने निर्यात पर घाटा सहना पड़ेगा। प्रवासियों पर सख़्त रुख के चलते भारत से ना केवल पलायन रुकेगा बल्कि अमेरिका से अप्रवासी भारतीय भारत का रुख़ करेंगे। विदित हो अमेरिका में सबसे ज़्यादा भारतीय प्रवासी रहते हैं। अवैध प्रवासियों को रोकने मैक्सिको बार्डर सील करेंगे।
थर्ड जेंडर के प्रति उनका दृष्टिकोण साफ है, वे सिर्फ दो जेंडर को ही मानेंगे। इस प्रकार मानवाधिकार नियमों के तहत थर्ड जेंडर को मिलने वाली समस्त सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी। 150 साल पुराना जन्मजात नागरिकता कानून भी ख़त्म होगा। ये भारत के सीएए कानून की तरह ही है।
मैक्सिको की खाड़ी का नाम अब अमेरिका खाड़ी होगा तथा पनामा देश को दिया पनामा नहर का अधिकार वापस लिया जाएगा क्योंकि पनामा ने इस नहर के ज़रिए चीन को सबसे अधिक फायदा दिया। यहां लगने वाला शुल्क बढ़ाया जाएगा। जिससे अटलांटिक और प्रशांत महासागर से अन्य राष्ट्रों के पनामा नहर गुजरने वाले जलयानों से मुनाफा होगा।
ट्रम्प ने आज से ड्रग माफिया को आतंकी संगठन माने जाने की भी घोषणा कर डाली।जबकि इसके उल्ट भारत में ड्रग माफिया सरकार के संरक्षण में पनप रहा है।काश भारत इससे सबक लेता।
अमेरिकी राष्ट्रपति के ये तमाम फैसले अमेरिका को स्वर्णिम युग में ले जाने के लिए हैं। देखना यह है कि विश्वगुरु मोदी से प्राप्त ये ज्ञान उन्हें मुसोलिनी या हिटलर ना बना दे। यह तो तय है कि विविधता से बहुल अमेरिकन लोकतंत्र को ट्रम्प के चार साल बहुत मंहगे पड़ने वाले हैं। एलन मस्क और उनके चुनिंदा बीस के लगभग खास मित्र अपने व्यापार को भारत के गौतम अडानी जैसा बढ़ाने व्यग्र हैं। सिर्फ़ टेस्ला कार ही नहीं तमाम मंहगी सामग्री भारत को खरीदना मज़बूरी होगी। विश्व की नंबर वन आबादी वाले भारत देश की उपेक्षा अमरीका नहीं कर सकता। चीन को शपथ समारोह में आमंत्रण वस्तुत: उसकी जनता को अपने माल की बिक्री से है। भारत के प्रधानमंत्री को भले आमंत्रित नहीं किया गया किंतु अंबानी के ज़रिए यह इच्छा पूरी की जाएगी। दोस्ती बनाना हमारी उनकी मज़बूरी है। लेकिन इसके भारत को हानिकारक परिणाम भुगतने होंगे। इसीलिए तो इसे ऐसे ही समझ कर तसल्ली करनी होगी गुरु गुड़ ही रहा चेला शक्कर हो गया। हो सकता है मोदी के ज्ञान की उपयोगिता का और कहीं फायदा लेने उनके लिए मार्गदर्शक मंडल का गठन हो जाए। फिलहाल, अभी तो उम्मीद नज़र नहीं आती। संक्षेप में कहें सब गुड़ गोबर हो गया तो अतिशयोक्ति ना होगी।
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