इंदौर। शहर को भिक्षावृत्ति के दायरे से बाहर निकालने की दिशा में प्रशासन ने एक सख्त कदम उठाते हुए भीख मांगने के साथ-साथ किसी भी प्रकार की सहायता या लेन-देन पर कानूनी प्रतिबंध थोप दिया है। यह आदेश न केवल भिक्षावृत्ति को रोकने के प्रयास को बल देता है, बल्कि इसे प्रोत्साहित करने वालों पर भी कार्रवाई सुनिश्चित करता है। शुक्रवार को अधिकारियों ने इस अहम निर्णय की घोषणा की।
जिलाधिकारी आशीष सिंह द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि, "शहर की सड़कों, सार्वजनिक स्थानों या किसी भी स्थल पर भिक्षा मांगना, देना या भिखारियों से किसी प्रकार का सामान खरीदना पूर्णत: वर्जित है।" आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
- आदेश का उल्लंघन करने पर कानूनी सजा का प्रावधान
इस आदेश के अनुसार, जो व्यक्ति भिक्षुकों को कोई सामग्री या धनराशि देता हुआ पाया जाएगा या उनसे सामान खरीदेगा, उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इसके तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को एक वर्ष के कारावास या 5,000 रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजा का सामना करना पड़ेगा।
प्रशासन का यह आदेश न केवल शहर में भिक्षावृत्ति को नियंत्रित करने के लिए लाया गया है, बल्कि इसे हतोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन योजना भी लागू की गई है।
- भिक्षावृत्ति की सूचना देने वालों को मिलेगा इनाम
अधिकारियों ने जानकारी दी कि भिक्षावृत्ति से संबंधित सही जानकारी देने वाले व्यक्ति को प्रशासन द्वारा 1,000 रुपये की इनामी राशि प्रदान की जाएगी। यह कदम लोगों को भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूक करने और इसमें संलिप्त लोगों को पुनर्वास केंद्र तक पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी दिनेश मिश्रा ने बताया कि बीते चार महीनों में करीब 400 भिक्षुकों को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया, जबकि 64 बच्चों को बाल संरक्षण संस्थानों में स्थानांतरित किया गया है। मिश्रा ने बताया कि, "हमने पिछले कुछ महीनों में जागरूकता अभियान चलाकर शहरवासियों को भिक्षावृत्ति के दुष्प्रभावों से अवगत कराया। अब कानून का पालन न करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
- इंदौर को 'भिक्षामुक्त' बनाने की पहल
यह आदेश केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की उस पायलट परियोजना का हिस्सा है, जिसमें देश के 10 शहरों को भिक्षुकमुक्त बनाने की योजना है। इन शहरों में इंदौर का भी चयन किया गया है।
प्रशासन का मानना है कि यह कदम शहर को भिक्षावृत्ति की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होगा। अब जनता से भी अपील की गई है कि वे भिक्षावृत्ति को प्रोत्साहन न दें और ऐसे मामलों की जानकारी प्रशासन को दें ताकि सही कदम उठाया जा सके।
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