भोपाल | प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को मध्य प्रदेश में एक प्रमुख डेयरी कंपनी और उसके प्रवर्तकों पर धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के संदेह में व्यापक पैमाने पर छापेमारी की। इस छानबीन का केंद्र कथित रूप से मिलावटी दूध और उसके उत्पादों की देश-विदेश में आपूर्ति से अर्जित अवैध संपत्ति का पता लगाना था। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, इस कार्रवाई में संबंधित संस्थान और उसके प्रमुख कर्ताधर्ताओं को निशाने पर लिया गया।
सूत्रों के अनुसार, भोपाल, सीहोर और मुरैना जिलों में फैले कंपनी के विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और उसके प्रवर्तकों—किशन मोदी, राजेंद्र प्रसाद मोदी समेत अन्य संबंधित व्यक्तियों के कुल नौ परिसरों पर छापे मारे गए। यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत की गई, जिसमें एजेंसी ने वित्तीय अनियमितताओं और अवैध लेन-देन से जुड़े संभावित साक्ष्यों को खंगाला।
जांच के दायरे में विदेशी लेनदेन
ईडी की इस छापेमारी का मुख्य उद्देश्य डेयरी व्यवसाय से जुड़े संदिग्ध वित्तीय लेन-देन और अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों के नेटवर्क का पर्दाफाश करना था। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिले हैं कि कंपनी के माध्यम से कथित रूप से मिलावटी डेयरी उत्पादों की आपूर्ति न केवल देशभर में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी की जा रही थी, जिससे संबंधित आर्थिक नियमों के उल्लंघन का संदेह मजबूत हुआ है।
अधिकारियों के अनुसार, जांच एजेंसी ने तलाशी के दौरान वित्तीय दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड और बैंकिंग ट्रांजेक्शन से जुड़े कई अहम सुराग जुटाए हैं। यह संदेह जताया जा रहा है कि कंपनी ने अपने वित्तीय रिकॉर्ड में हेरफेर कर अवैध धन को वैध दिखाने का प्रयास किया।
व्यापक जांच की तैयारी
प्रवर्तन निदेशालय की इस कार्रवाई के बाद अब संबंधित व्यक्तियों की संपत्तियों, बैंक खातों और व्यावसायिक लेन-देन की गहन जांच की जाएगी। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में पूछताछ के लिए कई व्यक्तियों को समन जारी किया जा सकता है।
ईडी की इस छापेमारी ने मिलावटी खाद्य उत्पादों के संगठित कारोबार से जुड़े बड़े नेटवर्क की ओर इशारा किया है, जिससे देश में खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता अधिकारों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
एक टिप्पणी भेजें