लेखक - सुसंस्कृति परिहार |
बड़ा ही संवेदनहीन समय है जब देश के पीएम साहिब पांच फरवरी को वीआईपी घाट पर शाही स्नान करेंगे ।वे मौनी अमावस्या पर नहीं आए, वसंत पंचमी को भी नहीं जाएंगे। बड़ी कृपा होगी। पर दिल्ली में जब मतदान शुरू होगा तो सनातनी साहिब जी के पहुंचने, स्नान, ध्यान, पूजा पाठ के तमाम दृश्यों का आंखों देखा हाल मोदी मीडिया दिन भर दिखाएगा। यह सब इसलिए क्योंकि दिल्ली के वोटर भाजपा के प्रधानमंत्री का सनातनी आध्यात्मिक रूप देखकर भाजपा को वोट कर सकें। यह ऐसे दुखद अवसर पर एक संवेदनहीनता की तुच्छ और शर्मनाक हरकत होगी।
यहां इस बात पर भी गौर करना चाहिए कि मौनी अमावस्या के हादसे के बाद वीवीआईपी घाट पर 4 फरवरी तक रोक लगाई गई है। लेकिन महामानव के लिए पांच फरवरी को चालू की जाएगी। जबकि झूंसी में इस घटना के एक दिन पहले इससे बड़ा भगदड़ कांड हो चुका है। जिसकी पोल पट्टी एक प्राईवेट चैनल खोल चुका है, जिसे छुपाने के दृश्य इसमें दिखाएं गए हैं। पंडालों में आग फिर जल उठी है तो एक संत की गाड़ी से सात लोगों के मरने की ख़बर है। शुरुआती दौर में 11 लोग हृदयाघात से भी मर चुके हैं।
भविष्य के प्रधानमंत्री की जुगाड़़ में महाकुंभ का सहारा लेने वाले योगी प्रशासन की पोल खुल चुकी है। दोनों भगदड़ में जीवन खोने वालों की कोई सूची अब तक नहीं आई है। सैकड़ों लापता लोगों के परिजन कुंभ में आज भी उन्हें खोज रहे हैं। उनकी चीत्कार बराबर जारी है। कोई सुनने वाला नहीं।
इसके बरक्स जब निरंजनी अखाड़ा प्रमुख कैलाशानंद गिरि महाराज मौनी अमावस के दिन लोगों के स्नान ना करने की घोषणा की तब दुख के साथ कहना पड़ रहा है। सरकार के आदेश से साधु संत समाज ने बेझिझक इस दुखद मौके पर कुंभ का शाही स्नान किया बल्कि सरकार ने उन सब पर पुष्प वर्षा भी कराई। क्या यह सब एक साधारण घटना मानी गई। फिर चार दिन चारों तरफ का आवागमन भी प्रारंभ हुआ। वीवीआईपी स्नान प्रतिबंधित किया गया। क्या ये चार दिन काफ़ी हैं। याद रखें गृहमंत्री के वीवीआईपी स्नान और उनकी सुरक्षा व्यवस्था के कारण कई कुंभ मार्ग बंद किए गए और इतने बड़े दो हादसे हो गए। पांच को जब विश्वगुरु का कारवां पहुंचेगा तो फिर इससे ज्यादा सुरक्षा इंतज़ामात होंगे क्योंकि इस दिन वीवीआईपी महोदय की सुरक्षा के लिए व्यवस्था हो रही है।
बेहतर हो योगी सरकार अब रिस्क ना ले। भक्तजनों को आदेशित करें कि पांच फरवरी को साहिब जी के आगमन से एक दिवस पहले और जब तक वे वापिस ना हो जाएं मेला क्षेत्र में आने की कोशिश ना करें। क्योंकि वीवीआईपी के स्नान पर रोक लगाने की हिम्मत ना योगी में है और ना पुलिस महानिदेशक या पुलिस अधीक्षक की। जो हिम्मत 1989 के महाकुंभ में तब इलाहाबाद के पुलिस अधीक्षक विभूति नारायण राय ने दिखाई थी। मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल के समय पुलिस अधीक्षक विभूति नारायण राय ने एक टेलीविजन पर कहा कि उनके ऊपर उत्तर प्रदेश के तमाम मंत्रियों का दबाव था कि उनके स्नान की वीवीआईपी व्यवस्था की जाए। विभूति नारायण राय और तत्कालीन जिलाधिकारी ने तुरंत मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को फोन किया और इस संदर्भ में बात कि हम जनता को सुविधा प्रदान करने में लगे हुए हैं, इस प्रोटोकॉल से अव्यवस्था फैलेगी। तब मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि कुंभ में कोई भी मंत्री निजी तौर पर जा सकता है, उसे सरकारी प्रोटोकॉल नहीं मिलेगा। ऐसे जनहितैषी पुलिस अधिकारी और मुख्यमंत्री अब क्यों नहीं है। अब तो भाजपा का सारा तामझाम ईवेंट होता है। दिल्ली चुनाव हेतु साहिबे आलम का ईवेंट ज़रूरी है। योगी और उनका प्रशासन पूंछ दबाए बैठा रहेगा। यह ईवेंट उन मौतों पर पर्दा डालेगा जिससे मोदी योगी सरकार की भर्त्सना हो रही है।
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