नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में जबरदस्त वापसी की है। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता पर कब्जा जमाया, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) 22 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस लगातार तीसरी बार खाता खोलने में नाकाम रही।
भाजपा की इस प्रचंड जीत के बीच आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके प्रमुख सहयोगी मनीष सिसोदिया भी चुनाव हार गए। नयी दिल्ली सीट पर भाजपा के प्रवेश वर्मा ने श्री केजरीवाल को 4,089 मतों से पराजित किया, जबकि जंगपुरा सीट से श्री सिसोदिया को भी हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कड़े मुकाबले में मुख्यमंत्री आतिशी कालकाजी सीट से जीतने में सफल रहीं।
सत्ता विरोधी लहर में बह गई 'आप'
2015 में आप ने 70 में से 67 सीटें जीतकर ऐतिहासिक विजय दर्ज की थी और 2020 में भी उसने 62 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। लेकिन इस बार भाजपा की आंधी में आप का प्रदर्शन कमजोर रहा और वह मात्र 22 सीटों तक सिमट गई।
भाजपा ने पीएम मोदी को दिया जीत का श्रेय
भाजपा नेताओं ने इस ऐतिहासिक जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया। श्री मोदी ने इस जीत को "विकास और सुशासन" की जीत करार देते हुए कहा कि दिल्ली के समग्र विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
केजरीवाल ने स्वीकारी हार, संघर्ष जारी रखने का संकल्प
श्री केजरीवाल ने जनादेश को स्वीकारते हुए कहा कि जनता ने जो निर्णय लिया है, उसे वह विनम्रता से स्वीकार करते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भाजपा दिल्लीवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरेगी। वहीं, मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी का संघर्ष दिल्ली की जनता के लिए जारी रहेगा।
नए समीकरण और दिल्ली की राजनीति में बदलाव
इस नतीजे ने दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया है। जहां भाजपा ने 27 साल बाद पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, वहीं आम आदमी पार्टी को अब विपक्ष की भूमिका निभानी होगी। कांग्रेस के लिए यह चुनाव एक और झटका साबित हुआ, क्योंकि वह लगातार तीसरी बार शून्य पर ही रही।
भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत के साथ दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू हो चुका है, जिसका प्रभाव आने वाले वर्षों तक देखा जाएगा।
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